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चंडीगढ़ के डीसी-कम-एस्टेट आफिसर अजित बालाजी जोशी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने वीरवार को राहत प्रदान करते हुए सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) की ओर से उन्हें एक मामले में दो नवंबर को पेश होने के जो आदेश दिए थे, उस पर रोक लगा दी।
इसके साथ ही हाईकोर्ट के जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस रामेंद्र जैन की खंडपीठ ने मामले में प्रतिवादी पक्ष को भी नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। मामले की अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी। कैट ने एक मामले में आदेश का पालन न करने पर चंडीगढ़ के डीसी-कम-एस्टेट आफिसर अजीत बालाजी जोशी के सेलरी निकालने पर रोक लगाते हुए उन्हें दो नवंबर को मामले की अगली सुनवाई पर हर हाल में कैट के समक्ष पेश होने के आदेश दिए थे।
इससे पहले ट्रिब्यूनल ने याचिका पर सुनवाई करते हुए डीसी को बैंच के समक्ष पेश होने के आदेश दिए थे। हालांकि उन्हें यह भी छूट दी गई थी कि अगर वह 24 अक्टूबर से पहले कैट के आदेश का पालन करते हैं तो उन्हें पेश होने की जरूरत नहीं है। बावजूद इसके 24 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान डीसी न तो खुद पेश हुए और न ही कैट के आदेश का पालन किया। इस पर कैट ने कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें दो नवंबर को होने वाली सुनवाई पर व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के आदेश जारी कर दिए। इसके साथ ही उन्हें सैलरी निकालने पर तब तक रोक लगा दी थी।
13 जनवरी 2016 को कैट ने एक सेवानिवृत्त तहसीलदार देवेंदर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रशासन को उनके रिटायरमेंट बेनिफिट जारी करने के आदेश दिए थे, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पर याची ने कैट में अवमानना याचिका दायर की थी। याची ने बताया था कि वो 1976 में बतौर पटवारी भर्ती हुए थे। 38 वर्षों की सेवा के बाद वह 7 मई 2014 को नौ महीने की अतिरिक्त सेवाओं के बाद तहसीलदार के पद से रिटायर हुए। उनका आरोप था कि अधिकारियों ने उन्हें रिटायरमेंट बेनिफिट जैसे नियमित पेंशन, ग्रेज्युटी का लाभ नहीं दिया।
चंडीगढ़ के डीसी-कम-एस्टेट आफिसर अजित बालाजी जोशी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने वीरवार को राहत प्रदान करते हुए सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) की ओर से उन्हें एक मामले में दो नवंबर को पेश होने के जो आदेश दिए थे, उस पर रोक लगा दी।
इसके साथ ही हाईकोर्ट के जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस रामेंद्र जैन की खंडपीठ ने मामले में प्रतिवादी पक्ष को भी नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। मामले की अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी। कैट ने एक मामले में आदेश का पालन न करने पर चंडीगढ़ के डीसी-कम-एस्टेट आफिसर अजीत बालाजी जोशी के सेलरी निकालने पर रोक लगाते हुए उन्हें दो नवंबर को मामले की अगली सुनवाई पर हर हाल में कैट के समक्ष पेश होने के आदेश दिए थे।
इससे पहले ट्रिब्यूनल ने याचिका पर सुनवाई करते हुए डीसी को बैंच के समक्ष पेश होने के आदेश दिए थे। हालांकि उन्हें यह भी छूट दी गई थी कि अगर वह 24 अक्टूबर से पहले कैट के आदेश का पालन करते हैं तो उन्हें पेश होने की जरूरत नहीं है। बावजूद इसके 24 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान डीसी न तो खुद पेश हुए और न ही कैट के आदेश का पालन किया। इस पर कैट ने कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें दो नवंबर को होने वाली सुनवाई पर व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के आदेश जारी कर दिए। इसके साथ ही उन्हें सैलरी निकालने पर तब तक रोक लगा दी थी।
13 जनवरी 2016 को कैट ने एक सेवानिवृत्त तहसीलदार देवेंदर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रशासन को उनके रिटायरमेंट बेनिफिट जारी करने के आदेश दिए थे, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पर याची ने कैट में अवमानना याचिका दायर की थी। याची ने बताया था कि वो 1976 में बतौर पटवारी भर्ती हुए थे। 38 वर्षों की सेवा के बाद वह 7 मई 2014 को नौ महीने की अतिरिक्त सेवाओं के बाद तहसीलदार के पद से रिटायर हुए। उनका आरोप था कि अधिकारियों ने उन्हें रिटायरमेंट बेनिफिट जैसे नियमित पेंशन, ग्रेज्युटी का लाभ नहीं दिया।