रोज़गार की दृष्टि से यह काफी संभावनाओं भरा क्षेत्र है। सरकारी और ग़ैर सरकारी, दोनों ही क्षेत्रों में नौकरी के पर्याप्त अवसर हैं। इसे स्वरोज़गार के रूप में भी अपनाया जा सकता है। फ्लोरल डिज़ाइनर, लैंडस्केप डिज़ाइनर, फ्लोरीकल्चर थैरेपिस्ट, फ़ार्म या स्टेट प्रबंधक, प्लांटेशन एक्सपर्ट, प्रोजेक्ट संचालक के अलावा आप शोध और शिक्षण भी कर सकते हैं। फ्लोरिकल्चर को अपना करियर बनाने वाले मुख्यत: निम्न प्रकार के काम करते हैं-
स्वरोज़गार
फ्लोरिकल्चर में फूलों की खेती कर उन्हें घरेलू बाज़ारों के साथ-साथ विदेशों में निर्यात किया जाता है। अपनी नर्सरी खोलकर, फूलदार व खुशबूदार पौधे उगाकर तथा बाग़बानी व लैंडस्केपिंग से सम्बंधित परामर्श सेवाएँ दे सकते हैं।
फूल और पौधों की डिज़ाइनिंग
फूल व कली उत्पादन, उनकी सुन्दरता बढ़ाने के लिए डिज़ाइनिंग, उनको गमले में उगाना, झालर वाले फूलदार पौधे उगाना और बनाना आदि जैसे कार्य इन विशेषज्ञों का अहम काम होता है। वे इन पौधों की सिंचाई, कोड़ाई, चुटाई व कटाई जैसे कार्य करने के अलावा इनके लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराते हैं, चाहे ये पौधे ग्रीन हाउस में उगाए गए हों या बाग़ानों में।
बाहरी साज-सज्जा के विशेषज्ञ
बाग़बानी, लैंडस्केपिंग तथा घरों व कार्यालयों वगैरह की साज-सज्जा करने वाली कंपनियाँ फ्लोरिकल्चरिस्ट को सुपरवाइज़र के तौर पर नियुक्त करती हैं और उनसे बाग़ानों, बागीचों व लॉन वगैरह को तैयार करने व उनकी देखरेख का कार्य कराती हैं।
कॉस्मेटिक्स व परफ्यूम उद्योग
इन उद्योगों में फ्लोरिकल्चरिस्ट फूलों से खुशबूदार तत्वों, तेल व रंग वगैरह को निकालने का कार्य करते हैं।
योग्यता
जो युवा इस क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं, उनके लिए अनुभव बेहद ज़रूरी है। सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री जैसे कोर्स के लिए 10+2 में बायोलॉजी, फिजिक्स, कैमिस्ट्री के साथ पास होना ज़रूरी है, लेकिन मास्टर्स डिग्री के लिए एग्रीकल्चर में बैचलर डिग्री ज़रूरी है। मास्टर्स डिग्री के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च द्वारा ऑल इंडिया एंट्रेंस टैस्ट परीक्षा ली जाती है। ग़ौरतलब है कि किसी भी यूनिवर्सिटी में फ्लोरीकल्चर (ऑनर्स) की पढ़ाई नहीं करवाई जाती, बल्कि बीएससी (एग्रीकल्चर) में एक विषय के तौर पर फ्लोरीकल्चर पढ़ाया जाता है।
आमदनी
यदि एक हेक्टेअर गेंदे का फूल लगाते हैं तो वे वार्षिक आमदनी 1 से 2 लाख तक बढ़ा सकते हैं। इतने ही क्षेत्र में गुलाब की खेती करते हैं तो दोगुनी तथा गुलदाउदी की फसल से 7 लाख रुपए आसानी से कमा सकते हैं। भारत में गेंदा, गुलाब, गुलदाउदी आदि फूलों के उत्पादन के लिए जलवायु काफी अनुकूल है। फिर भी मिट्टी, ख़ाद व ख़रपतवार की सफाई और समय पर बुवाई का ध्यान रखना चाहिए।
फूलों की लगभग सभी प्रजातियों की बुवाई सितंबर-अक्तूबर में की जाती है। गुलाब और गेंदा हर प्रकार की मिट्टी में लगाए जा सकते हैं, परंतु दोमट, बलुआर या मटियार भूमि ज्यादा उपयोगी है। उन्नत किस्म के बीज पूसा इंस्टीटय़ूट या देश के किसी भी बड़े अनुसंधान केंद्र से प्राप्त किए जा सकते हैं।
सरकार से ऋण व्यवस्था
इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकारी बैंक 5 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध करवाते हैं। फूलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने वाली कई संस्थाएं भी प्लानिंग तथा ऋण उपलब्ध कराती हैं।
प्रमुख संस्थान
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीटय़ूट, नयी दिल्ली
वेबसाइट: www.iari.res.in
आनंद कृषि विश्वविद्यालय आनंद, गुजरात वेबसाइट: www.aau.in
जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंत नगर, उत्तराखंड
वेबसाइट: www.gbpuat.ac.in
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना, पंजाब वेबसाइट: www.pau.edu
इलाहाबाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद
वेबसाइट: www.allduniv.ac.in
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, इंस्टीटय़ूट ऑफ एग्रीकल्चर साइंस फैकल्टी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
वेबसाइट: www.bhu.ac.in
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हरियाणा
वेबसाइट www.hau.ernet.in