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आरबीआई बना रहा बैकों के बकायेदारों की सूचीः जेटली

ब्यूरो/ अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Mon, 12 Jun 2017 08:13 PM IST
Reserve Bank making a List of NPA accounts

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि रिजर्व बैंक विभिन्न वाणिज्यिक बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) वाले खातों की सूची तैयार कर रहा है। सूची तैयार होने के बाद इसे जारी किया जाएगा, जिसके आधार पर दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत कार्रवाई होगी। वह सोमवार को यहां सरकारी क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक में बैंकिंग क्षेत्र के कारोबार की स्थिति का जायजा लेने के बाद संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। 



जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के नियमों के तहत उन फंसे कर्जों की सूची तैयार कर रहा है, जिनका समाधान करने की जरूरत है। इसके साथ ही सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के परस्पर विलय और अधिग्रहण की संभावनाओं पर भी काम कर रही है। हालांकि उन्होंने विलय एवं अधिग्रहण के बारे में कुछ भी अतिरिक्त जानकारी देने से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि ये संवेदनशील मसले हैं, इसलिए इस बारे में और जानकारी जाहिर नहीं की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016-17 की अंतिम तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए बढ़ कर 6 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया था। 


2016-17 में बैंकों का शुद्ध लाभ 574 करोड़
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज पर उठते सवालों पर वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2016-17 में इन बैंकों ने 1.5 लाख करोड़ रुपये का परिचालन लाभ अर्जित किया है, जो कि ठीक-ठाक है। लेकिन बैंकों को फंसे कर्जों के लिए प्रावधान भी करना पड़ता है। जब बैंकों द्वारा तमाम तरह के प्रावधान किए गए तो उसके बाद इन बैंकों का शुद्ध लाभ 574 करोड़ रुपये रहा। 

एनपीए से जुड़े सभी मामलों का समाधान समय की जरूरत
हालांकि जेटली ने माना कि बैंकों का ऋण कारोबार (क्रेडिट ग्रोथ) संतोषजनक नहीं है। इसका विस्तार न होना एक चुनौती बना हुआ है। लेकिन इसके लिए बैंकों को ज्यादा जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि कारोबार का विस्तार तो अर्थव्यवस्था के हिसाब से ही होगा। बैंकों का वित्तीय हित ठीक रहे, इसके लिए एनपीए से संबंधित सभी लंबित मामलों का समाधान किया जाना समय की जरूरत है।

आईबीसी के तहत 81 मामले दर्ज
बैंकों के मामलों के बारे में उन्होंने कहा कि आईबीसी के तहत अभी तक 81 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 18 मामले वित्तीय लेनदारों के हैं। इन्हें नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) को भेज दिया गया है। उनके मुताबिक करीब 70 फीसदी एनपीए या तो बैंकों के समूह द्वारा या फिर एकाधिक बैंकिंग व्यवस्था द्वारा दिए गए हैं। इसलिए इन फंसे हुए कर्जों का मामला तेजी से हल करने की जरूरत है।

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