निवेश की शुरुआत जितनी जल्दी हो, उतना ही अच्छा है। नौकरी या रोजगार शुरू करने के साथ ही निवेश करने से आपका पैसा उसी दिन से आपकी सुरक्षा और आपके लिए कमाई करने में जुट जाता है। निवेश से पहले समय-समय पर पड़ने वाली जरूरतों को जरूर ध्यान में रखें। यानी, आने वाले साल में आपको किस मद में कितना नकद खर्च करना है, उसका हिसाब लगा लें। उसके बाद अपनी बचत को निवेश में लगाएं।
उचित मनी मैनेजर से करें मशविरा
फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है, उचित प्रबंधन। यदि आप अपना मनी मैनेजमेंट नहीं कर सकते हैं तो उपयुक्त प्रोफेशनल मनी मैनेजर की सेवाएं जरूर लें। महज वित्तीय विशेषज्ञता और कठिन परिश्रम से ही उपर्युक्त फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं हो सकती है। बल्कि, इसके लिए उचित एप्रोच और अनुशासन भी आवश्यक है।
आसान है निवेश की प्लानिंग
निवेश की योजना बनाना आप जितना मुश्किल समझते हैं, उससे यह बहुत ही आसान है। निवेश के पीछे आपका उद्देश्य क्या है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। मसलन, मकान, बच्चे की शिक्षा/शादी, नई कार, वर्ल्ड टूर, रिटायरमेंट या और कुछ। इस हिसाब से अपने निवेश के रकम की योजना बनाएं। निवेश की योजना में रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। सभी में रिस्क उठाने की अलग-अलग क्षमता होती है, इसलिए यह व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए, पहले अपने रिस्क प्रोफाइल को समझे और उसके अनुसार अपना पोर्टफोलियो तैयार करें।
प्लानिंग में छोटी-छोटी बातों का रखें ख्याल
हम सभी अपना आधा जीवन कमाने और बचाने में ही बिता देते हैं। लेकिन, बहुत ही कम ऐसे लोग हैं, जो इसकी योजना बनाते हैं कि कैसे अपने पैसे को अधिक उत्पादक बनाया जाए या अपनी आय को प्रभावकारी बनाने के लिए क्या करना चाहिए। यानी, अपने वित्तीय जीवन की योजना कैसे बनाई जाए। इसको लेकर तैयारी किस तरह की जाए। कुछ ऐसे छोटे-छोटे बिंदु हैं, जिन पर यदि हम ध्यान दें तो बेहतर फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते हैं। आपके वित्तीय प्रोफाइल की समीक्षा ही फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरुआत है। इसे केवल निवेश करने के नजरिए से ही नहीं देखा जाना चाहिए।
हमेशा निवेश पोर्टफोलियो बनाने से पहले स्वास्थ्य, संपत्ति और जीवन की बाकी जरूरतों का ध्यान रखें। सबसे पहले अपने परिवार के उन खर्चों और जरूरतों का हिसाब लगाकर उन्हें सुनिश्चित कर लें, जो आपके नियंत्रण से बाहर है। मेडिकल खर्चों, जीवन, कार और अन्य जरूरी संपत्तियों की उपर्युक्त बीमा पॉलिसी लें। संभव हो तो महंगे लोन लेने से बचें और यदि हो तो उसका भुगतान करने की कोशिश करें। क्योंकि, इससे आपकी आमदनी का बड़ा हिस्सा ब्याज में चला जाता है।
क्रेडिट कार्ड के बिल का समय पर चुकाना आपको अतिरिक्त ब्याज के बोझ से बचा सकता है। अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा शार्ट टर्म इनवेस्टमेंट में लगाएं, जिससे अचानक जरूरत पड़ने पर आप उसका इस्तेमाल कर सकें। ‘आय - व्यय = बचत’, इस फार्मूले को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए कि सालाना आमदनी का कम से कम 15 फीसदी राशि की बचत की जा सके।
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