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अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल के नियंत्रण वाली वेदांता लिमिटेड भारतीय शेयर बाजारों से अपनी सूचीबद्धता समाप्त करने के करीब पहुंच गई है। प्रवर्तकों को पुनर्खरीद कार्यक्रम के अंतिम दिन कुल मिलाकर 137.74 करोड़ शेयर की पेशकश मिली है। पहले कंपनी ने बताया था कि अंतिम मंजूरी मिलने के बाद वेदांता की मूल कंपनी वेदांता रिसोर्स लिमिटेड (वीआरएल) और उसकी सहायक कंपनियां डिलिस्टिंग पेशकश के बारे में सार्वजनिक घोषणा करेंगी।
अनिल अग्रवाल की कंपनी की सूचीबद्धता समाप्त करने को लेकर सार्वजनिक शेयरधारकों के पास मौजूद कुल 169.73 करोड़ शेयरों में से 134 करोड़ शेयर की पेशकश होना जरूरी था। लेकिन जो पेशकश आई है, वह इस संख्या से अधिक है। शेयर बाजारों में उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, 137.74 करोड़ शेयरों को कंपनी के सुपुर्द करने के लिए न्यूनतम 87.25 रुपये प्रति शेयर की बोली मिली है।
पुनर्खरीद कीमत की घोषणा करेगी कंपनी
सर्वाधिक 21.51 करोड़ शेयर की पेशकश 160 रुपये प्रति शेयर, 18.9 करोड़ शेयर 145 रुपये और अन्य 10.87 करोड़ शेयर की पेशकश 153 रुपये प्रति इक्विटी पर की गई। कंपनी को अब शेयरों को स्वीकार करना है इसके साथ ही पुनर्खरीद कीमत की घोषणा करनी है।
हस्सेदारी वापस खरीदना चाह रहे हैं प्रवर्तक
वेदांता के प्रवर्तक कंपनी की सूचीबद्धता समाप्त करने को लेकर 169.73 करोड़ शेयर यानी 47.67 फीसदी हस्सेदारी वापस खरीदना चाह रहे हैं। ये हिस्सेदारी आम शेयरधारकों के पास है। रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया पांच अक्तूबर को शुरू हुई थी। पेशकश अवधि शुक्रवार को समाप्त हो गई है।
कंपनी ने जुटाए 24,000 करोड़ रुपये
वेदांता का शेयर बीएसई में शुक्रवार को 3.83 फीसदी की बढ़त के साथ 122.10 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी के प्रवर्तकों ने शेयरों की सूचीबद्धता समाप्त करने के लिए 3.15 अरब डॉलर यानी करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस वित्तपोषण के साथ कंपनी 140- 145 रुपये प्रति शेयर के भाव पर पुनर्खदीर कर सकती है।
चौथी तिमाही में 12,521 करोड़ का शुद्ध घाटा
मालूम हो कि विविध प्राकृतिक संसाधन क्षेत्रों में कारोबार करने वाली वेदांता को वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में 12,521 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध घाटा हुआ था। तेल एवं गैस, तांबा तथा लौह अयस्क कारोबार की संपत्तियों का मूल्य घटने से कंपनी को तिमाही के दौरान 17,132 करोड़ रुपये का अनुमान से अधिक नुकसान हुआ। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी ने 2,615 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था।
अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल के नियंत्रण वाली वेदांता लिमिटेड भारतीय शेयर बाजारों से अपनी सूचीबद्धता समाप्त करने के करीब पहुंच गई है। प्रवर्तकों को पुनर्खरीद कार्यक्रम के अंतिम दिन कुल मिलाकर 137.74 करोड़ शेयर की पेशकश मिली है। पहले कंपनी ने बताया था कि अंतिम मंजूरी मिलने के बाद वेदांता की मूल कंपनी वेदांता रिसोर्स लिमिटेड (वीआरएल) और उसकी सहायक कंपनियां डिलिस्टिंग पेशकश के बारे में सार्वजनिक घोषणा करेंगी।
अनिल अग्रवाल की कंपनी की सूचीबद्धता समाप्त करने को लेकर सार्वजनिक शेयरधारकों के पास मौजूद कुल 169.73 करोड़ शेयरों में से 134 करोड़ शेयर की पेशकश होना जरूरी था। लेकिन जो पेशकश आई है, वह इस संख्या से अधिक है। शेयर बाजारों में उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, 137.74 करोड़ शेयरों को कंपनी के सुपुर्द करने के लिए न्यूनतम 87.25 रुपये प्रति शेयर की बोली मिली है।
पुनर्खरीद कीमत की घोषणा करेगी कंपनी
सर्वाधिक 21.51 करोड़ शेयर की पेशकश 160 रुपये प्रति शेयर, 18.9 करोड़ शेयर 145 रुपये और अन्य 10.87 करोड़ शेयर की पेशकश 153 रुपये प्रति इक्विटी पर की गई। कंपनी को अब शेयरों को स्वीकार करना है इसके साथ ही पुनर्खरीद कीमत की घोषणा करनी है।
हस्सेदारी वापस खरीदना चाह रहे हैं प्रवर्तक
वेदांता के प्रवर्तक कंपनी की सूचीबद्धता समाप्त करने को लेकर 169.73 करोड़ शेयर यानी 47.67 फीसदी हस्सेदारी वापस खरीदना चाह रहे हैं। ये हिस्सेदारी आम शेयरधारकों के पास है। रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया पांच अक्तूबर को शुरू हुई थी। पेशकश अवधि शुक्रवार को समाप्त हो गई है।
कंपनी ने जुटाए 24,000 करोड़ रुपये
वेदांता का शेयर बीएसई में शुक्रवार को 3.83 फीसदी की बढ़त के साथ 122.10 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी के प्रवर्तकों ने शेयरों की सूचीबद्धता समाप्त करने के लिए 3.15 अरब डॉलर यानी करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस वित्तपोषण के साथ कंपनी 140- 145 रुपये प्रति शेयर के भाव पर पुनर्खदीर कर सकती है।
चौथी तिमाही में 12,521 करोड़ का शुद्ध घाटा
मालूम हो कि विविध प्राकृतिक संसाधन क्षेत्रों में कारोबार करने वाली वेदांता को वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में 12,521 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध घाटा हुआ था। तेल एवं गैस, तांबा तथा लौह अयस्क कारोबार की संपत्तियों का मूल्य घटने से कंपनी को तिमाही के दौरान 17,132 करोड़ रुपये का अनुमान से अधिक नुकसान हुआ। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी ने 2,615 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था।