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आयकर विभाग को मुंबई की चार असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARCs) और कर्जदारों के बीच अवैध सांठगांठ का पता चला है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने बुधवार को बताया कि 8 दिसंबर को इन कंपनियों पर मारे गए छापे के बाद जांच में यह खुलासा हुआ। आयकर ने मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली और कुछ अन्य स्थानों पर कुल 60 परिसरों पर छापे मारे थे।
सीबीडीटी ने एक बयान जारी कर कहा कि विभाग ने चार करोड़ रुपये नकद और बड़ी मात्रा में दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड जब्त किए हैं। आयकर की नीति निर्धारक संस्था सीबीडीटी ने कहा कि कर्जदाता बैंकों से गैर निष्पादनकारी परिसंपत्तियां (NPA) खरीदने के लिए इन कंपनियों ने विभिन्न अनुचित व धोखाधड़ीपूर्ण व्यापार व्यवहार किए।
जांच में पाया गया कि कर्जदारों के समूहों व एआरसी के बीच एक अपवित्र गठजोड़ था। इसके जरिए संपत्तियों की खरीदी के लिए फर्जी या छ्द्म कंपनियों का इस्तेमाल किया गया। सीबीडीटी ने इन एआरसी के नामों को उजागर करने से बचते हुए यह दावा किया।
कर अधिकारियों ने पाया कि एआरसी द्वारा खरीदी गई एनपीए की राशि (वह राशि जो एनपीए बतौर बकाया थी) इन संपत्तियों की असली कीमत से बहुत कम थी। इन तनावग्रस्त परिसंपत्तियों को खरीदने के लिए चारों एआरसी ने बहुत कम नकद भुगतान किया और आमतौर पर कर्जदार समूहों के ही पैसों का इस्तेमाल करते रहे।
इस हेराफेरी में हवाला चैनलों का भी इस्तेमाल किया गया। सीबीडीटी ने कहा कि एआरसी ने बैंकों से इन संपत्तियों की खरीद फरोख्त में अनुचित व गैर पारदर्शी तरीकों का इस्तेमाल किया। सीबीडीटी ने कहा कि अक्सर संबंधित संपत्ति को उसी उधारकर्ता समूह द्वारा फिर से खरीद लिया गया और बदले में उसके असल मूल्य का मात्र एक अंश चुकाया गया। इसमें मोटा मुनाफा हुआ, लेकिन उसे छिपाया गया। इन एआरसी ने इस तरीके से कर चोरी भी की और कर्जदाता बैंक को उसके वास्तविक मुनाफे में हिस्सेदारी भी नहीं दी।