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Loan And FD: लोन और एफडी के लिए अब भी सही वक्त, अब ज्यादा महंगा नहीं होगा कर्ज
अजीत सिंह, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 05 Dec 2022 05:53 AM IST
सार
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) एक बार फिर से रेपो दर को बढ़ाने की घोषणा कर सकता है। ऐसे में जहां कर्ज महंगा होगा, वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट पर भी ब्याज बढ़ जाएगा। यह उन दोनों लोगों के लिए अभी सही समय है, जो लोन लेना चाहते हैं या फिर एफडी कराना चाहते हैं। इन दोनों का गणित बताती अजीत सिंह की रिपोर्ट-
लोन की दरें अब इसके बाद बढ़नी मुश्किल है या फिर बहुत कम बढ़ेंगी। जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की भी ब्याज दरें इस बार बढ़ने के बाद स्थिर हो सकती हैं या आगे चलकर थोड़ी-बहुत इसमें वृद्धि हो सकती है। दरअसल, बैंकों के कर्ज की वृद्धि अब सालाना स्तर पर 17 फीसदी के करीब हो गई है।
आरबीआई के हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, 18 नवंबर को समाप्त हफ्ते में बैंकों की कुल उधारी 133.29 लाख करोड़ रुपये रही है, जो कि एक साल पहले यह 113.96 लाख करोड़ रुपये थी। इसी समय में जमा की वृद्धि दर केवल 9.30 फीसदी रही है जो कि 177.15 लाख करोड़ रुपये रही थी। एक साल पहले यह 162 लाख करोड़ थी। यानी सीधे-सीधे बैंकों को अगर 17 फीसदी की उधारी की वृद्धि दर बनाए रखनी है तो उनको जमा पर ब्याज दर बढ़ाना ही होगा। क्योंकि जमा की तुलना में कर्ज की मांग दोगुना के करीब है।
17 फीसदी बढ़ी है 18 नवंबर के समाप्त हफ्ते में बैंकों के कर्ज की मांग
इसी दौरान 09 फीसदी बढ़ा है बैंकों का जमा
बैंक
एफडी दर
अवधि
एसबीआई
6.25%
दो से तीन साल
यूनियन बैंक
7.30%
800 दिन से 3 साल
बैंक ऑफ इंडिया
7.25%
777 दिन
केनरा बैंक
7.00%
666 दिन
पीएनबी
7.00%
600 दिन
एक्सिस बैंक
6.50%
18 माह से 10 साल
एचडीएफसी बैंक
6.50%
18 से 60 माह
आईसीआईसीआई
6.50%
दो से 10 साल
(सोर्स: बैंक बाजार, आंकड़े : 2 दिसंबर तक के)
एफडी में निवेश का है अच्छा मौका
इस बार भी आरबीआई की एमपीसी बैठक में दरों को बढ़ाने का फैसला लिया जाएगा। हालांकि, यह पहले की तुलना में कम होगी। ऐसी स्थिति में आगे भी एफडी या जमा पर ब्याज दरें बढ़ जाएंगी। निवेशकों को एक बेहतर ब्याज पर निवेश का मौका मिलेगा। -राम श्रीराम, संस्थापक, महाग्राम
बात फिक्स्ड डिपॉजिट दर की
पिछले चार बार में रेपो दर में 1.90% की वृद्धि के बाद एफडी की दरें भी ऊपर चली गई हैं। छोटे बैंक इस समय 8 से 8.50% तक ब्याज दे रहे हैं। हालांकि निवेशक चाहें तो कुछ एनसीडी में दांव लगा सकते हैं जहां अभी पांच साल के निवेश पर सालाना 10% से ऊपर ब्याज मिल रहा है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के मुख्य अर्थशास्त्री सुवोदीप रक्षित कहते हैं कि आरबीआई रेपो दर में 0.35% की बढ़त कर सकता है।
निर्णय सर्वसम्मति से होने की संभावना नहीं है। घरेलू मांग स्थिर बनी हुई है। हालांकि वैश्विक मांग में कमी का जोखिम बढ़ रहा है। इससे भारत की आर्थिक वृद्धि दर पर असर पड़ने का अनुमान है। बाहरी क्षेत्र की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। अधिकांश विकसित अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई ज्यादा बनी हुई है। हालांकि, कमोडिटी की कीमतों में कमी आई है।
कच्चे तेल की कीमतों में हालिया गिरावट भी उत्साहजनक है। हालांकि यह अनिश्चित है कि यह बनी रहेगी या नहीं। ये कारक आरबीआई को दर वृद्धि की गति को धीमा करने में कुछ विश्वास प्रदान करेंगे।
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बैंकों की एफडी सुरक्षा और तरलता वाली
वैसे बड़े और प्रतिष्ठित बैंकों की एफडी की दर भले कम होती है, लेकिन यहां पर सुरक्षा और तरलता ज्यादा होती है। साथ ही गारंटी रिटर्न होता है। इसलिए यह सभी ग्राहकों के लिए अच्छा होता है। वे अपने प्रोफाइल के आधार पर इसमें निवेश कर सकते हैं। साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह एक बेहतर विकल्प है। चूंकि यहां पर गारंटी रिटर्न है इसलिए आपातकाल में मेडिकल की जरूरतों या फिर कहीं अचानक जाने के खर्च की जरूरतों को यह पूरा करने में अच्छा होता है।
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