कर्ज के बोझ तले दबी जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी और सुरक्षा रियल्टी को नए सिरे से बोलियां जमा कराने को कहा गया है। सूत्रों ने बुधवार को बताया कि दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही जेपी इंफ्रा के कर्जदाताओं की 18 नवंबर को बैठक होने वाली है, जिसमें नई बोलियों पर विचार किया जा सकता है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इंफ्रा की दिवालिया प्रक्रिया का 90 दिन में पूरा करने का निर्देश दिया था। साथ ही कहा था कि संशोधित समाधान योजना सिर्फ राष्ट्रीय भवन निर्माण कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) और सुरक्षा रियल्टी से मांगी जाए। समझा जाता है कि ये कंपनियां इस सप्ताह के आखिर तक नई बोलियां जमा करा देंगी।
जयप्रकाश एसोसिएट्स की संकट में घिरी अनुषंगी जेपी इंफ्रा पर करीब 9,800 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के पहले चरण में कर्जदाताओं ने सुरक्षा समूह की इकाई लक्षदीप की 7,350 करोड़ रुपये की बोली को खारिज कर दिया था। दूसरे दौर में भी कर्जदाताओं ने सुरक्षा रियल्टी और एनबीसीसी की बोलियां खारिज कर दी थी। अब तीसरी बार बोली लगाने की तैयारी है।
दो साल पहले शुरू हुई प्रक्रिया
आईडीबीआई बैंक की अगुवाई में कर्जदाता समूह की अपील पर जेपी इंफ्रा के खिलाफ 2017 में दिवालिया प्रक्रिया शुरू हुई थी। कंपनी के समाधान पेशेवर नियुक्त किए गए अनुज जैन ने अक्तूबर 2018 में एनसीएलटी के निर्देश पर बोलियां मंगानी शुरू की थी। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के 13 बैंक व 23 हजार से ज्यादा मकान खरीदारों को जेपी इंफ्रा का मामला निपटने का इंतजार है।
कर्ज के बोझ तले दबी जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी और सुरक्षा रियल्टी को नए सिरे से बोलियां जमा कराने को कहा गया है। सूत्रों ने बुधवार को बताया कि दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही जेपी इंफ्रा के कर्जदाताओं की 18 नवंबर को बैठक होने वाली है, जिसमें नई बोलियों पर विचार किया जा सकता है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इंफ्रा की दिवालिया प्रक्रिया का 90 दिन में पूरा करने का निर्देश दिया था। साथ ही कहा था कि संशोधित समाधान योजना सिर्फ राष्ट्रीय भवन निर्माण कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) और सुरक्षा रियल्टी से मांगी जाए। समझा जाता है कि ये कंपनियां इस सप्ताह के आखिर तक नई बोलियां जमा करा देंगी।
जयप्रकाश एसोसिएट्स की संकट में घिरी अनुषंगी जेपी इंफ्रा पर करीब 9,800 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के पहले चरण में कर्जदाताओं ने सुरक्षा समूह की इकाई लक्षदीप की 7,350 करोड़ रुपये की बोली को खारिज कर दिया था। दूसरे दौर में भी कर्जदाताओं ने सुरक्षा रियल्टी और एनबीसीसी की बोलियां खारिज कर दी थी। अब तीसरी बार बोली लगाने की तैयारी है।
दो साल पहले शुरू हुई प्रक्रिया
आईडीबीआई बैंक की अगुवाई में कर्जदाता समूह की अपील पर जेपी इंफ्रा के खिलाफ 2017 में दिवालिया प्रक्रिया शुरू हुई थी। कंपनी के समाधान पेशेवर नियुक्त किए गए अनुज जैन ने अक्तूबर 2018 में एनसीएलटी के निर्देश पर बोलियां मंगानी शुरू की थी। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के 13 बैंक व 23 हजार से ज्यादा मकान खरीदारों को जेपी इंफ्रा का मामला निपटने का इंतजार है।