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Kerala borrowing limit not reduced; LDF govt extravagance reason for state's financial crisis: Centre
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Centre vs Kerala: उधार लेने पर पाबंदी लगाने के आरोपों पर केंद्र का पलटवार, मंत्री बोले- हो रही 'फिजूलखर्ची'
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Mon, 29 May 2023 05:20 PM IST
Centre vs Kerala: केरल की एलडीएफ सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए मुरलीधरन ने राज्य के लिए स्वीकृत उधार के आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, केरल को 15 वें वित्तीय आयोग की सिफारिशों के अनुसार अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3 प्रतिशत के रूप में 32,442 करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति दी गई है।
केरल के सीएम विजयन और प्रधानमंत्री मोदी।
- फोटो : ANI
भाजपानीत केंद्र सरकार ने सोमवार को केरल की सत्तारूढ़ वाम सरकार के उन आरोपों का खंडन किया कि केंद्र ने राज्य की कर्ज लेने की क्षमता कम कर दी है। साथ ही केंद्र ने केरल पर बढ़ते कर्ज के लिए एलडीएफ प्रशासन के ''वित्तीय कुप्रबंधन और फिजूलखर्ची'' को जिम्मेदार ठहराया है।
केंद्रीय संसदीय कार्य व विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने दावा किया कि एलडीएफ सरकार के 'वित्तीय कुप्रबंधन और फिजूलखर्ची' के कारण केरल वित्तीय संकट का सामना कर रहा है और क्यों उस पर भारी कर्ज है। उन्होंने कांग्रेस से निष्कासित नेता केवी थॉमस के लिए मंजूर मानदेय और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन तथा राज्य के मंत्रियों की विदेश यात्राओं को 'फिजूलखर्ची' करार दिया। मंत्री ने आगे कहा कि भारत के कुछ पड़ोसी देश अपनी वित्तीय नीतियों के कारण गंभीर आर्थिक स्थिति से गुजरे हैं और केंद्र सरकार भारत में ऐसी स्थिति नहीं चाहता था, इसलिए राज्यों की ओर से उधार लेने पर प्रतिबंध लगाए गए। मुरलीधरन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''इसलिए मैं राज्य के वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री से कहना चाहूंगा कि वे इसके लिए केंद्र सरकार को दोष न दें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि मुख्यमंत्री विजयन और राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल केंद्र पर इसलिए आरोप लगा रहे हैं क्योंकि उन्हें ऐसे मामलों के बारे में जानकारी नहीं है। ऐसा करना जनता को गुमराह करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है। विजयन ने रविवार को भाजपा शासित केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए केरल की उधार लेने की क्षमता को आधा करने के उसके कथित कदम को 'दुखद' करार दिया था। इससे दो दिन पहले बालगोपाल ने दलील दी थी कि यह कदम 'केंद्र सरकार के राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा' है। बालगोपाल ने दावा किया था कि राज्य की उधार सीमा को आधा करने का कोई कारण नहीं बताया गया था।
एलडीएफ सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए मुरलीधरन ने राज्य के लिए स्वीकृत उधार के आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, केरल को 15 वें वित्तीय आयोग की सिफारिशों के अनुसार अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3 प्रतिशत के रूप में 32,442 करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति दी गई थी।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, प्रतिस्थापन उधार के तहत 20,985 करोड़ रुपये की अनुमति दी गई थी और इसके अलावा, राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत केंद्रीय योगदान के रूप में राज्य के लिए 1,755 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। इस वित्तीय वर्ष में कुल 55,182 करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति है और इसमें से 34,661 करोड़ रुपये राज्य द्वारा पहले ही लिए जा चुके हैं। शेष 20,521 करोड़ रुपये में से, केंद्र ने पहले नौ महीनों के लिए 15,390 करोड़ रुपये मंजूर किए। मंत्री ने कहा, शेष 5,131 करोड़ रुपये वित्त वर्ष के अंत तक दिए जाएंगे।
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