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ईडी: बैंक घोटाले में कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग की 1984 करोड़ की संपत्ति जब्त, प्रवर्तन निदेशालय ने कंपनी व चेयरमैन पर की कार्रवाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिषेक दीक्षित Updated Wed, 09 Mar 2022 10:03 PM IST
सार

कार्वी समूह पर आरोप है कि उसने अपने ग्राहकों के 2800 करोड़ के शेयरों को गैरकानूनी तरीके से गिरवी रखकर बैंकों से मोटा कर्ज लिया था। बाद में बाजार नियामक सेबी और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आदेश पर ग्राहकों के शेयर जारी किए गए तो वह कर्ज गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) हो गया। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड देश की प्रमुख शेयर दलाल कंपनी है और उसके लाखों क्लाइंट हैं। 

Karvy Stock Broking assets worth 1984 crores seized in bank scam ED took action against the company and the chairman
ईडी की कार्रवाई - फोटो : ANI

विस्तार

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित बैंक घोटाले में प्रमुख शेयर ब्रोकर कंपनी कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग की 1984 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की है। एजेंसी ने बुधवार को बताया कि ये जायदाद जमीन, इमारत और शेयर के रूप में कंपनी, उसके चेयरमैन सी पार्थसारथी और अन्य की हैं। ईडी ने देश के प्रमुख बैंकों की शिकायत और हैदराबाद पुलिस की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के बाद यह कार्रवाई की है। 



कार्वी समूह पर आरोप है कि उसने अपने ग्राहकों के 2800 करोड़ के शेयरों को गैरकानूनी तरीके से गिरवी रखकर बैंकों से मोटा कर्ज लिया था। बाद में बाजार नियामक सेबी और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आदेश पर ग्राहकों के शेयर जारी किए गए तो वह कर्ज गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) हो गया। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड देश की प्रमुख शेयर दलाल कंपनी है और उसके लाखों क्लाइंट हैं। 


यह घोटला उस वक्त पकड़ में आया, जब एनएसई ने 2019 में कंपनी का निरीक्षण किया। जांच में पता चला कि कंपनी ने डीपी खाते का खुलासा नहीं किया था और अपने ग्राहकों के शेयर को गिरवी रखकर जुटाए गए फंड को स्टॉक ब्रोकर क्लाइंट अकाउंट के बदले अपने (स्टॉक ब्रोकर ओन अकाउंट) छह बैंक खातों में जमा कर लिया। ईडी की जांच के मुताबिक केएसबीएल ने ग्राहकों द्वारा दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग किया। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि इस मामले की आगे की जांच अभी जारी है।

102 भूखंड और करोड़ों की अन्य संपत्ति
ईडी ने अपराध से जुड़े आय की पहचान की है। इनमें 213.69 करोड़ के 102 भूखंड,  केफिन टेक्नोलॉजीज में सी पार्थसारथी के 438.70 करोड़ की हिस्सेदारी के अलावा केडीएमएसएल, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी केएफएसएल और केएसबीएल की 1280 करोड़ की अन्य संपत्ति शामिल हैं। जांच के मुताबिक फंड को केडीएमएसएल सहित अन्य फर्जी कंपनियों में डायवर्ट किया गया। 

पिछले साल 9 ठिकानों पर छापे
ईडी ने पिछले साल 22 सितंबर को 9 ठिकानों पर छापे मारकर कार्वी समूह के सीएमडी सी पार्थसारथी, मुख्य वित्तीय अधिकारी जी हरिकृष्णा को विशेष ईडी अदालत में पेश किया था। उन्हें इस साल 20 जनवरी को मनी लॉन्ड्रिंग निषेध कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था और दोनों अभी न्यायिक हिरासत में हैं। एजेंसी ने कहा कि पार्थसारथी जांच में बिलकुल सहयोग नहीं कर रहे थे। हालांकि कुछ गलतियों को उन्होंने स्वीकार किया और अन्य को कंपनी के सीईओ और सीएफओ पर डाल दिया।

अक्षय गोल्ड फार्म्स एंड विलाज इंडिया लिमिटेड पर भी कार्रवाई
दूसरी ओर अक्षय गोल्ड फार्म्स एंड विलाज इंडिया लिमिटेड और उसके प्रमोटरों द्वारा चलाए जा रहे पोंजी घोटाले के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच में बैंक खातों में जमा 268 करोड़ रुपये और 376 अचल संपत्ति को कुर्क किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को यह कार्रवाई की।
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चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट में धोखाधड़ी में 11 गिरफ्तार 
प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को कहा कि उसने चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट में धोखाधड़ी से जुड़ी अपनी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हिरासत में लिए गए लोगों में पीवी सुदलाईमुथु, एम विजय हेराल्ड, एम राजेश सिंह, एस सियाद, के जाकिर हुसैन, सुरेश कुमार, गणेश नटराजन, वी मणिमोझी, जे सेल्वाकुमार, ए सेरमथिराजा और अरुण अंबू शामिल हैं।  

यह मामला चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट में 45.05 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी से जुड़ा है। जांच में पाया गया कि संदिग्ध व्यक्तियों ने चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट में नकली सावधि जमा रसीदें जमा की थीं। उन्होंने एफडी खोलने के कुछ दिनों के भीतर उनके द्वारा रखी गई मूल एफडी रसीदों की मदद से सावधि जमा को धोखाधड़ी से समाप्त कर दिया था। ईडी ने कहा, यह पाया गया है कि 45.40 करोड़ रुपये की राशि धोखाधड़ी से एक नकली चालू खाते में स्थानांतरित कर दी गई थी।  

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