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Investment: डेट म्यूचुअल फंड की जगह कम कर वाले विकल्पों में बढ़ेगा निवेशकों का आकर्षण, एलटीसीजी लाभ खत्म

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। Published by: देव कश्यप Updated Sat, 25 Mar 2023 07:00 AM IST
सार

सोने, फंड ऑफ फंड और अंतरराष्ट्रीय इक्विटी के निवेश पर भी यह नियम लागू होगा। ऐसे साधनों में निवेश करने वालों को भी एलटीसीजी लाभ नहीं मिलेगा।

Investors will be attracted to low tax options instead of debt mutual funds
सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : iStock

विस्तार

इक्विटी में अपनी संपत्ति का 35 फीसदी से कम निवेश करने वाले डेट म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के निवेश पर मिलने वाला कैपिटल गेन्स टैक्स (एलटीसीजी) लाभ खत्म करने से डेट फंड से निवेशकों का मोह भंग होगा। वे कम कर वाले अन्य साधनों में निवेश की ओर आकर्षित होंगे।



39.40 लाख करोड़ रुपये का है म्यूचुअल फंड उद्योग का एयूएम
कोटक म्यूचुअल फंड की मुख्य निवेश अधिकारी (डेट) लक्ष्मी अय्यर ने कहा, तीन साल से ज्यादा अवधि की निवेश वाली फंड योजनाओं पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% एलटीसीजी लगता है। अब यह खत्म हो गया है। इससे डेट म्यूचुअल फंड के निवेशक किसी और साधन में निवेश कर सकते हैं, जहां उन्हें कम टैक्स देना पड़े।  एमएफ किंग के एमडी डीडी शर्मा कहते हैं कि म्यूचुअल फंड इससे बचने के लिए इक्विटी में 35% से ज्यादा निवेश कर सकते हैं। फंड उद्योग का एसेट अंडर मैनेजमेंट 39.40 लाख करोड़ है। इसमें 12.41 लाख करोड़ डेट का हिस्सा है।


फिर भी घाटे का सौदा होगा एफडी में निवेश
एक अप्रैल, 2023 से नियम लागू होने के बाद अगर निवेशक एफडी  में पैसा लगाएंगे तो भी उन्हें घाटा उठाना पड़ेगा। मान लीजिए, आपने बैंक में 100 रुपये जमा किया। अगले साल 10 रुपये का ब्याज मिला।

  • बैंक में जो भी ब्याज बनता है, उस पर मासिक या तिमाही आधार पर टैक्स खुद बैंक काट देता है। लेकिन म्यूचुअल फंड में अगर आप इस 110 रुपये को नहीं निकालते हैं तो आपका टैक्स नहीं कटेगा। आप जब अंत में पैसा निकालेंगे तो उस पर टैक्स लगेगा। ऐसी स्थिति में 110 रुपये में जो 10 रुपये ब्याज का है, उस पर भी रिटर्न मिलेगा, जो फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में नहीं होता है।


नियम इन पर भी लागू... सोने, फंड ऑफ फंड और अंतरराष्ट्रीय इक्विटी के निवेश पर भी यह नियम लागू होगा। ऐसे साधनों में निवेश करने वालों को भी एलटीसीजी लाभ नहीं मिलेगा।

जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण : कम होगा अदालतों का बोझ...नांगिया एंडरसन इंडिया में निदेशक (अप्रत्यक्ष कर) तनुश्री रॉय ने कहा कि अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना से अदालतों पर भार कम होगा और करदाताओं को भी राहत मिलेगी। यह सकारात्मक और स्वागतयोग्य कदम है। उद्योग का लंबे समय से चला आ रहा इंतजार भी अब खत्म हो गया।

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एसटीटी : एफएंडओ से कमाई पर टैक्स में 25 फीसदी तक बढ़ोतरी
सरकार ने ट्रेडर्स को झटका देते हुए फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) के जरिये कमाई पर सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को 0.05 फीसदी से बढ़ाकर 0.062 फीसदी कर दिया है। नए नियम के मुताबिक, ऑप्शंस ट्रेडर्स को अब एक करोड़ रुपये के टर्नओवर पर 6,200 रुपये का एसटीटी देना होगा, जो पहले 5,000 रुपये था। इसका मतलब है कि 25 फीसदी की वृद्धि की गई है। इसी तरह, फ्यूचर्स की बिक्री पर एसटीटी को 0.01 फीसदी से बढ़ाकर 0.125 फीसदी कर दी गई है। इसका मतलब यहां भी 25 फीसदी की वृद्धि की गई है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक करोड़ के टर्नओवर पर जब फ्यूचर की बिक्री की जाएगी तो 1,250 रुपये एसटीटी लगेगा।

निवेशकों को दोहरा झटका : मास्टर कैपिटल सर्विसेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविंदर सिंह का कहना है कि एसटीटी में वृद्धि से इंट्रा डे ऑप्शन पर असर होगा क्योंकि उनकी रणनीति की लागत बढ़ जाएगी। इससे हाई फ्रिक्वेंसी ट्रेडर्स (एचएफटी) ज्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि उनका वॉल्यूम ज्यादा है। एसटीटी में वृद्धि एचएफटी वाले एफएंडओ व्यापारियों के मनोबल को और गिराने वाली है। साथ ही खुदरा निवेशक को भी झटका लगेगा।

क्रेडिट कार्ड : विदेश यात्रा के लिए भुगतान पर कर
विदेश यात्रा के लिए क्रेडिट कार्ड से भुगतान को आरबीआई के उदारीकृत धन प्रेषण योजना (एलआरएस) के दायरे में लाया जाएगा। इसका उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि ऐसे खर्चे स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) के दायरे में आएं।

  • वित्त मंत्री ने कहा, आरबीआई से विदेशी दौरों पर क्रेडिट कार्ड से भुगतान को एलआरएस के दायरे में लाने के तरीके खोजने का आग्रह किया गया है।
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