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चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनी श्याओमी को केंद्र सरकार ने आयात शुल्क की कथित चोरी को लेकर 653 करोड़ रुपये का नोटिस जारी किया है। वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि श्याओमी इंडिया को उसके परिसरों में तलाशी के दौरान बरामद दस्तावेजों के आधार कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
श्याओमी ने फिलहाल इन आरोपों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। इससे पहले राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने जांच के दौरान पाया था कि श्याओमी इंडिया और उसके अनुबंध वाली उत्पादक कंपनियां आयात किए गए माल के निर्धारित मूल्य में रॉयल्टी की राशि शामिल नहीं थीं, जो सीमा शुल्क यानी कस्टम्स कानून का उल्लंघन है। मंत्रालय के मुताबिक, लेनदेन मूल्य में 'रॉयल्टी और लाइसेंस शुल्क' नहीं जोड़कर श्याओमी सीमा शुल्क से बच रहा था।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, "डीआरआई की जांच पूरी होने के बाद श्याओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के प्रावधानों के तहत एक अप्रैल, 2017 से 30 जून, 2020 की अवधि के लिए 653 करोड़ रुपये के शुल्क की मांग की गई है। कंपनी को वसूली के लिए तीन कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं।"
तीन साल से ज्यादा समय तक चली कर चोरी
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के अनुसार श्याओमी इंडिया 1 अप्रैल 2017 से 30 जून 2020 तक यह सीमा शुल्क चोरी करती रही। इसी वजह से उसे तीन कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं। इनके तहत उसे 653 करोड़ रुपए सीमा शुल्क की मांग व रिकवरी चुकाने का आदेश दिया गया है।
नोटिस पर शाओमी इंडिया ने बयान दिया कि वह इनका तफ्सील से विश्लेषण करवा रही है। भारतीय कानून का पूरा अनुपालन उसकी प्राथमिकता रही है। एक जिम्मेदार कंपनी होने के नाते जांच में अधिकारियों को पूरा सहयोग देगी और सभी दस्तावेज मुहैया करवाएगी।
डीआरआई को ऐसे सुबूत मिले थे जिनसे साबित होता था कि कंपनी चीन की बीजिंग शाओमी मोबाइल सॉफ्टवेयर कंपनी और क्वालकॉम यूएसए को रॉयल्टी व लाइसेंस फीस चुका रही है। यह भुगतान एक अनुबंध के तहत होता है।
श्याओमी इंडिया के अधिकारियों से पूछताछ की गई तो कंपनी निदेशकों में से एक ने माना कि यह भुगतान सच में किए जाते हैं। श्याओमी इंडिया दरअसल एमआई ब्रांड के फोन बेचती है। यह फोन भारत में आयात किए जाते हैं या फिर इनके पार्ट्स व उपकरण आयात कर देश में असेंबली की जाती है।