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GDP: जीडीपी की तुलना में निवेश 12 फीसदी घटा, बचत में भी 6 फीसदी गिरावट

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। Published by: देव कश्यप Updated Fri, 24 Mar 2023 05:48 AM IST
सार

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कौशिक बसु ने आंकड़ों का हवाला देते हुए ट्विटर पर कहा कि सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि वित्त वर्ष 2022 में निवेश में कुछ सुधार दिखा है। यह सही भी है। लेकिन, कुछ आंकड़े दिखाते हैं कि इस दौरान जीडीपी के अनुपात में निवेश और बचत में भारी गिरावट आई है।

India Investment rate declines by 12 percent compared to GDP, savings also declined by 6 percent
जीडीपी (सांकेतिक तस्वीर)। - फोटो : Pixabay

विस्तार

देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में निवेश और बचत दोनों में पिछले 11 वर्षों में तेज गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2011 में निवेश जहां 39.8 फीसदी था वहीं 2022 में यह 12 फीसदी गिरकर 31.4 फीसदी पर आ गया है। इस दौरान, सकल बचत भी 36.9 फीसदी से घटकर 30.2 फीसदी पर आ गई है।



पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कौशिक बसु ने आंकड़ों का हवाला देते हुए ट्विटर पर कहा कि सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि वित्त वर्ष 2022 में निवेश में कुछ सुधार दिखा है। यह सही भी है। लेकिन, कुछ आंकड़े दिखाते हैं कि इस दौरान जीडीपी के अनुपात में निवेश और बचत में भारी गिरावट आई है। इससे रोजगार के सृजन और लंबे समय में आर्थिक विकास दर पर बुरा असर होगा। हम नौकरशाह हैं, इसलिए हमें यह महसूस हो रहा है। इसलिए नीति निर्माताओं को इस पर सही फैसला लेना होगा।


पांच साल में ऐसे घटी दर
साल   निवेश बचत
2018  33.9  32.1
2019  33.8  31.7
2020  30.4  29.6
2021  27.9  28.8
2022  31.4  30.2
(आंकड़े फीसदी में)

2014 के बाद 34 फीसदी से नीचे रहा निवेश
आंकड़ों के मुताबिक, 2012 में निवेश घटकर 39 और बचत 34.6 फीसदी रह गई। 2013 में ये क्रमशः 38.7 और 33.9 फीसदी रह गई। 2014 में यह और गिरकर 33.8 और 32.1 फीसदी पर आ गई। उसके बाद से निवेश की दर 34 फीसदी से नीचे और बचत की दर 33 फीसदी से नीचे रही।

  • वित्त वर्ष 2015 में निवेश की दर 33.5 फीसदी और बचत की दर 32.2 फीसदी, 2016 में 32.1 फीसदी और 31.1 फीसदी रही थी। 


रुपये में और कमजोरी से धीमी हो सकती है अर्थव्यवस्था की रफ्तार
एशिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं में कमजोरी का जोखिम बढ़ना चिंताजनक है। सबसे ज्यादा खतरा भारत पर है। अगर रुपया ऐसे ही कमजोर होता रहा तो एशिया की सबसे अच्छी प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत की जीडीपी की रफ्तार पर ब्रेक लग सकता है।

  • मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय मुद्रा में करीब एक साल से उतार-चढ़ाव जारी है। प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने से रुपया कई बार नए सार्वकालिक निचले स्तर तक गिरा है। अक्तूबर, 2022 में यह पहली बार 83 से भी नीचे आ गया था।
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  • रिपोर्ट में कहा गया है कि आयातित वस्तुओं की उच्च लागत से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और फेड रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति से रुपये में गिरावट शुरू हुई। सख्त मौद्रिक नीति के बीच बेहतर रिटर्न के लिए निवेशक अमेरिका जैसे स्थिर बाजारों का रुख कर सकते हैं।

आरबीआई को लेने पड़ सकते हैं कड़े फैसले
मूडीज ने कहा, अगर रुपये की स्थिति मजबूत नहीं होती है तो घरेलू मुद्रा को और अधिक टूटने से बचाने के लिए आरबीआई को मजबूरन सख्त फैसले लेने पड़ सकते हैं। ऐसे में अनुमान है कि केंद्रीय बैंक अप्रैल में होने वाली बैठक में नीतिगत दर में फिर बढ़ोतरी कर सकता है।

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