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आईएमएफ ने की भारत की तारीफ: क्रिस्टीना जार्जीवा से मिलीं निर्मला सीतारमण, क्रिप्टो समेत इन मुद्दों पर हुई चर्चा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: दीपक चतुर्वेदी Updated Tue, 19 Apr 2022 12:47 PM IST
सार

FM Nirmala Sitharaman Meets IMF Chief: रुस-यूक्रेन युद्ध से उपजे भू-राजनैतिक हालातों पर चर्चा के साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी के खतरे के प्रति भी दुनिया के सभी देशों को चेताया। उन्होंने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी का सबसे बड़ा जोखिम ये है कि इसका उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण यानी टेरर फंडिंग में किया जा सकता है।

निर्मला सीतारमण
निर्मला सीतारमण - फोटो : एएनआई

विस्तार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी से भारतीय अर्थव्यवस्था में स्पष्ट तौर पर मजबूत पुनरुद्धार हुआ है। इसके साथ उन्होंने भरोसा जताया कि भारत इस दशक में मजबूत आर्थिक वृद्धि हासिल करेगा। सीतारमण वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक की सालाना बैठक में भाग लेने के लिए आई हैं। यहां वित्त मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की एमडी क्रिस्टलीना जॉर्जिवा के साथ मुलाकात कर कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस बीच आईएमएफ ने श्रीलंका की मदद करने को लेकर भारत की जमकर तारीफ की।  



भू-राजनैतिक हालातों पर चर्चा 
आईएमएफ चीफ के साथ बातचीत के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्तमान में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बने भू-राजनैतिक हालातों पर गहन चर्चा की। इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव और ईंधन व बिजली की कीमतों में तेज इजाफा प्रमुख मुद्दे रहे। इस दौरान आईएमएफ चीफ ने अच्छी तरह से लक्षित भारतीय नीति का उल्लेख किया, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को सीमित वित्तीय साधनों के साथ भी लचीला रहने में मदद की है।


क्रिप्टोकरेंसी को बताया बड़ा खतरा 
आईएमएफ की बैठक के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी के खतरे के प्रति भी दुनिया के सभी देशों को चेताया। उन्होंने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी का सबसे बड़ा जोखिम ये है कि इसका उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण यानी टेरर फंडिंग में किया जा सकता है। सभी देशों को चेताते हुए उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के जोखिम को कम करने के लिए तकनीाक के इस्तेमाल के साथ सख्त नियम-कानून बनाना एकमात्र तरीका है। 

आईएमएफ ने भारत की तारीफ
इस दौरान आईएमएफ ने भारती की आर्थिक नीतियों की जमकर सराहना की। क्रिस्टीना जॉर्जीवा ने ने कहा कि श्रीलंका में उपजे इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से निपटने में भारत की ओर से की जा रही मदद काबिले-तारीफ है। जॉर्जीवा ने ये टिप्पणी वाशिंगटन डीसी में सीतारमण के साथ आईएमएफ-विश्व बैंक (डब्ल्यूबी) की स्प्रिंग मीटिंग के दौरान की। 
वित्त मंत्री ने शोध संस्थान अटलांटिक काउंसिल के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उपस्थित अमेरिकी लोगों को बताया कि कैसे लोगों ने भारत सरकार के साथ मिलकर सफलतापूर्वक कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से उत्पन्न चुनौतियों का सामना किया और कैस वे उससे सफलतापूर्वक निपट सके। उन्होंने कहा, महामारी और उसके बाद पुनरुद्धार को ध्यान में रखते हुए जब हम भारत को देखते हैं, हम अपने सामने के दशक को देखते हैं। 2030 एक मजबूत दशक होगा और भारत निश्चित रूप से तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा।

सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 से पहले और उसके बाद भारत ने कई संरचनात्मक सुधार किए और उसे आगे बढ़ाने के लिए महामारी को अवसर में बदला। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने को लेकर जो कदम उठाए, वह अपने आप में अलग है। हमने मांग प्रबंधन पर आश्रित होने के बजाय आपूर्ति व्यवस्था से जुड़े सुधारों को आगे बढ़ाया।
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उन्होंने महामारी से पूर्व किये गए सुधारों में जीएसटी (माल एवं सेवा कर) और डिजिटलीकरण कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन का जिक्र किया। सीतारमण ने कहा कि महामारी से पहले, हमने तेजी से डिजिटलीकरण को बढ़ाया और हम वित्तीय समावेश का ऐसा कार्यक्रम लाए, जो दुनिया में पहले कहीं नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि इसी कार्यक्रम के परिणामस्वरूप ही दुनिया में तीन सबसे बड़े सार्वजनिक डिजिटल मंच सामने आए जो भारत के हैं। ये मंच हैं-आधार, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और कोविन। आधार जहां सबसे बड़ा विशिष्ट डिजिटल पहचान हैं, वहीं यूपीआई सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान परिवेश है। कोविन सबसे बड़े टीकाकरण का मंच है।

सीतारमण ने कहा कि कम लागत वाले डिजिटल कार्यक्रम से सभी आय श्रेणी में देश के नागिरकों का जीवन सुगम हुआ है। उन्होंने कहा कि महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के साथ ही सरकार ने आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने और सुधारों को आगे बढ़ाने को लेकर कई कदम उठाए। वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ साल में नरेंद्र मोदी सरकार ने संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया। इसमें पीएम-गतिशक्ति कार्यक्रम, कंपनी करों में कमी, कर भुगतान को सुगम करना, कर विवादों का समाधान, पूर्व की तिथि से कराधान को समाप्त करना, एयर इंडिया का निजीकरण, विभिन्न क्षेत्रों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन तथा श्रम कानून में सुधार शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान भारत सरकार ने बैंकों में पूंजी डालकर तथा विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाकर वृहत आर्थिक स्थिरता हासिल करने को लेकर ठोस प्रयास किए।सीतारमण ने कहा कि सरकार पूंजी व्यय पर जोर दे रही है, जिसका मकसद वंचित तबकों को लेकर जिम्मेदारियों से आंखे बंद किये बिना वृद्धि को बढ़ावा देना है। वित्त मंत्री ने 2022-23 के बजट में पूंजी व्यय 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.50 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की है। इससे पूर्व वित्त वर्ष में यह 5.54 लाख करोड़ रुपये था।

 

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