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आपात गारंटी कर्ज योजना: छोटे उद्यमों को मुश्किल से मिल रहा गारंटी वाला कर्ज, 57% एमएसएमई को काफी दौड़भाग के बाद मिली मदद

न्यूज डेस्क, अमर अजाला, नई दिल्ली Published by: सुभाष कुमार Updated Fri, 10 Dec 2021 06:35 AM IST
सार

आपात गारंटी कर्ज का लाभ उठाने वाली ऐसी एमएसएमई जिन्होंने किसी एनबीएफसी से कर्ज किया था, उनके लिए नया कर्ज लेना सबसे चुनौती भरा काम था।

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आपात गारंटी कर्ज योजना (सांकेतिक फोटो) - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू की गई आपात गारंटी कर्ज योजना का लाभ उठाने के लिए छोटे उद्यमों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। ट्रांस सिबिल ने बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में बताया कि छोटे आकार की एमएसएमई को कर्ज मिलने में मुश्किलें आईं, जबकि बड़े उद्यमों ने आसानी से कर्ज उठा लिया।



रिपोर्ट के मुताबिक, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए शुरू की गई कर्ज गारंटी योजना 1 और 2 के तहत मार्च, 2021 तक कुल 1.7 लाख करोड़ बांटे गए। कर्ज लेने वाले 57 फीसदी छोटे उद्यमों का कहना है कि उनके लिए योजना का लाभ उठाना आसान नहीं था। 10 लाख रुपये से कम का कर्ज लेने वाले 61 फीसदी उद्यमों ने मुश्किलों का सामना किया। इसके उलट 10 लाख से 1 करोड़ तक कर्ज लेने वाले 52 फीसदी उद्यमियों और 1-10 करोड़ तक कर्ज लेने वाले 49 फीसदी उद्यमियों ने मुश्किलों का सामना करने की बात कही। ट्रांस यूनियन सिबिल के एमडी राजेश कुमार ने कहा, जैसे-जैसे कर्ज की राशि बढ़ी, उसे पाना आसान होता गया। 


एनबीएफसी के ग्राहकों पर कम रहा भरोसा
इस श्रेणी के 66 फीसदी उद्यमियों को कर्ज देने से इनकार कर दिया गया, जबकि निजी बैंकों के ग्राहकों में यह संख्या 58 फीसदी और सरकारी बैंकों के ग्राहकों में 53 फीसदी रही। कई बैंकों ने तो योजना शुरू होने के महीनों बाद कर्ज बांटना शुरू किया। बैंक शाखाओं को अपने बोर्ड से कर्ज बांटने की अनुमति का इंतजार था।आपात गारंटी कर्ज का लाभ उठाने वाली ऐसी एमएसएमई जिन्होंने किसी एनबीएफसी से कर्ज किया था, उनके लिए नया कर्ज लेना सबसे चुनौती भरा काम था।

65 फीसदी ने योजना को मददगार बताया
कर्ज लेने वाली 65 फीसदी एमएसएमई ने योजना के जरिये अपनी वित्तीय समस्याओं का समाधान किया, जबकि 41 फीसदी को इससे दोबारा कारोबार शुरू करने में मदद मिली। 40 फीसदी ने कहा, आपात कर्ज से मिली राशि से बकाया भुगतान और वेतन बांटा। कर्ज लेने वाली कुल एमएसएमई में से 68 फीसदी ने भविष्य में कारोबार बढ़ाने का भरोसा जताया, जबकि 6 फीसदी ने पैसा डूबने की बात कही। 24 फीसदी उद्यमियों को भविष्य अभी भविष्य को लेकर चिंता है।

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