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लिकटेंस्टीन के शाही परिवार की ओर से समर्थित एक फर्म ने मंगलवार को कहा कि क्रेडिट स्विस ग्रुप संकट से संपन्न भारतीयों का अंतरराष्ट्रीय धन प्रबंधकों को देखने का नजरिया बदलेगा।
एलजीटी वेल्थ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य निवेश अधिकारी और प्रबंध निदेशक राजेश चेरुवु के अनुसार पिछले 15 साल में कई बहुराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान भारतीय बाजार से बाहर निकल गए हैं ऐसे में क्रेडिट स्विस से जुड़ी ताजा घटना धनी निवेशकों को परेशान कर रही है।
चेरुवु ने मीडिया से बातचीत में बताया, "यह विशेष घटना धनाढ्यों के व्यावसायिक रणनीतियों को प्रभावित करने वाला है। निवेशक मुख्य रूप से अपने धन प्रबंधकों और धन सलाहकारों के व्यावसायिक संचालन की स्थिरता चाहते हैं।
इस साल सिटीग्रुप ने एक्सिस बैंक को बेचकर भारत में अपने खुदरा कारोबार से बाहर निकलने का फैसला किया और अपने सभी धन प्रबंधन का कारोबार देश के निजी क्षेत्र के तीसरे सबसे बड़े बैंक को हस्तांतरित कर दिया।
इसके अलावा पिछले एक दशक में क्रेडिट स्विस के नए खरीदार- यूबीएस एजी, मॉर्गन स्टेनली और मैक्वेरी ग्रुप लिमिटेड ने भारत में अपना कारोबार बंद कर दिया है। माना जा रहा है कि मूल्य-जागरूक भारतीय करोड़पतियों से उनके लिए पैसा बनाना मुश्किल हो रहा था, भारतीय करोड़पति उनकी हर सलाह पर भुगतान करने के आदि नहीं थे।
पेशेवर फंड प्रबंधन के प्रति बदलते भारतीय दृष्टिकोण ने धन प्रबंधकों को लुभाया है
हालांकि हाल के दिनों में भारत के विकास के साथ धन सृजन की मात्रा और पेशेवर फंड प्रबंधन के प्रति बदलते दृष्टिकोण ने कुछ धन प्रबंधकों को लुभाया है। उनकी नजर देश के 600 अरब डॉलर के धन उद्योग के एक हिस्से पर है और यह सालाना दो अंकों में बढ़ रहा है।
HSBC होल्डिंग्स पीएलसी अपने अमीरों का दोहन करने के लिए भारत में एक तटवर्ती निजी बैंकिंग सेवा शुरू करने की योजना बना रहा है, जबकि जूलियस बेयर ग्रुप लिमिटेड का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में अपना और अधिक विस्तार करना है।
उन्होंने कहा, संरचनात्मक रूप से भारत अगले तीन, पांच, सात साल के लिए वृद्धि की शानदार संभावना है। चेरुवु ने कहा, "इसलिए हम वास्तव में निवेशकों को सुझाव दे रहे हैं कि वे लंबी अवधि के लिए पोर्टफोलियो बनाने और लाभ कमाने के लिए बाजार में चल रही घबराहट और अस्थिरता का का इस्तेमाल करें।