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Hindenburg: अदाणी के शेयरों में अचानक क्यों आई 20% की गिरावट? कांग्रेस ने की RBI-SEBI से जांच की मांग

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विवेक दास Updated Fri, 27 Jan 2023 02:33 PM IST
सार

Adani: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का अदाणी ग्रुप के शेयरों पर लगातार दूसरे दिन असर दिखा और ये 20% तक लुढ़क गए। इस दौरान अदाणी समूह के सभी दस स्टॉक लाल निशान पर कारोबार करते दिखे। गिरावट का सबसे ज्यादा असर अदाणी टोटल गैस के शेयरों पर पड़ा।

अदाणी
अदाणी - फोटो : Social Media

विस्तार

बुधवार को निवेशकों को एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान देने के बाद शुक्रवार को भी अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों पर दबाव दिखा। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का अदाणी ग्रुप के शेयरों पर लगातार दूसरे दिन असर दिखा और ये 20% तक लुढ़क गए। इस दौरान अदाणी समूह के सभी दस स्टॉक लाल निशान पर कारोबार करते दिखे। गिरावट का सबसे ज्यादा असर अदाणी टोटल गैस के शेयरों पर पड़ा। इसके शेयर 19.6% तक लुढ़क कर 2,961.55 के स्तर पर पहुंच गए। इसके अलावे अदाणी ग्रीन के शेयरों में 13%, अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों में 3% की गिरावट दर्ज की गई है। बता दें कि अदाणी एंटरप्राइजेज ने शुक्रवार को ही अपना 20 करोड़ रुपये का एफपीओ (Follow on Public Offer) भी लॉन्च किया है। अदाणी पावर के शेयर 5% की गिरावट के साथ 248.05 के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। अदाणी विल्मर और एनडीटीवी के शेयर भी पांच-पांच प्रतिशत की गिरावट के साथ क्रमशः 517.30 और 256.35 रुपये प्रति शेयर के भाव पर कारोबार करते दिख रहे हैं। 

अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट का यह है कारण?

अदाणी समूह के शेयरों में यह गिरावट फॉरेंसिक फाइनेशियल रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट के बाद आई है जिसमें कहा गया है कि वह अदाणी समूह की कंपनियों में शॉर्ट पोजीशन पर है। रिपोर्ट में अदाणी समूह के सभी कंपनियों के लोन (Adani Group Debt) पर भी सवाल उठाते हुए दावा किया गया है कि समूह की 7 प्रमुख लिस्टेड कंपनियां 85 फीसदी से अधिक ओवरवैल्यूड हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च की लेटेस्ट रिपोर्ट में अदाणी समूह से 88 सवाल दागे गए हैं? माना जा रहा है कि इसी रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद अदाणी समूह के शेयरों पर निवेशकों का नजरिया बदलता दिख रहा है। 

क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च?

हिंडनबर्ग रिसर्च एक फोरेंसिक वित्तीय शोध फर्म है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ाें का विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की है। हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करता है। इसे कॉरपोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है।

अदाणी समूह ने भी किया पलटवार- दी कानूनी कार्रवाई की धमकी

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अदाणी ग्रुप ने गुरुवार को करारा पलटवार करते हुए कहा है कि उसके शेयरधारकों और निवेशकों पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अदाणी समूह के लीग हेड जतिन जलुंढ़वाला ने कहा है कि रिपोर्ट के कारण भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव चिंता की बात है।

जलुंढ़वाला की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग को अदाणी समूह के शेयरों में आने वाली गिरावट से फायदा होगा। अदाणी समूह ने कहा है कि वह हिंडनबर्ग के खिलाफ उसकी भ्रामक रिपोर्ट के कारण लीगल एक्शन लेगी।

अदाणी समूह ने कहा, “हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से 24 जनवरी 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण व शरारतपूर्ण है। यह बिना  किसी रिसर्च के तैयार की गई है। इस भ्रामक रिपोर्ट ने अदाणी समूह, हमारे शेयरधारकों और निवेशकों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। रिपोर्ट से भारतीय शेयर बाजारों में जो उतार-चढ़ाव पैदा हुआ है वह बड़ी चिंता का विषय है और इससे भारतीयों को अवांछित पीड़ा हुई है। अदाणी समूह ने कहा है कि हिंडनबर्ग ने अप्रमाणित सामग्री प्रकाशित की। इसे अदाणी समूह की कंपनियों के शेयर मूल्यों पर हानिकारक प्रभाव डालने के लिए डिजाइन किया गया है।

कांग्रेस ने आरबीआई और सेबी से जांच कराने की मांग उठाई

उधर, कांग्रेस ने शुक्रवार को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी की ओर से जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस ने कहा है कि इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए। कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा है कि एक राजनीतिक दल को आम तौर पर एक हेज फंड की ओर से तैयार की गई एक व्यक्तिगत कंपनी या व्यावसायिक समूह के खिलाफ जारी शोध रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट पर कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया जरूरी है क्योंकि अदाणी समूह कोई सामान्य समूह नहीं है। उससे पहले कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी आरोपों की आंशिक सच्चाई की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के साथ-साथ उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग की थी।
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