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Budget 2023: क्या है सप्तऋषि, जिसके जरिए विकास की नई कहानी लिखना चाहती है मोदी सरकार? समझें

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Wed, 01 Feb 2023 11:05 PM IST
सार

आइए समझते हैं कि आखिर ये सप्तऋषि क्या है? इसमें सरकार ने किन-किन क्षेत्रों को शामिल किया है? इसके जरिए क्या करना चाहती है सरकार? 

 

बजट 2023
बजट 2023 - फोटो : बजट 2023

विस्तार

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश कर दिया है। वित्त मंत्री ने अपने भजट भाषण के दौरान 'सप्तऋषि' का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश के विकास का यही आधार होगा। वित्त मंत्री ने मौजूदा समय को अमृतकाल बताया और कहा कि इस अमृतकाल में सात प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए देश का विकास होगा। इन सात प्राथमिकताओं को ही सप्तऋषि नाम दिया गया है। आइए समझते हैं कि आखिर ये सप्तऋषि क्या है? इसमें सरकार ने किन-किन क्षेत्रों को शामिल किया है? इसके जरिए क्या करना चाहती है सरकार? 


 

बजट में सप्तऋषि का जिक्र क्यों हुआ?
केंद्रीय वित्त मंत्री ने सप्तऋषि की तरह ही देश के विकास में सात बिंदुओं पर फोकस करने की बात कही है। इसमें हर वर्ग का ख्याल रखना और हर तरह से देश के विकास का मुद्दा शामिल है। सरकार ने उन सात बिंदुओं की जानकारी भी दी, जिसपर सबसे ज्यादा फोकस होगा। 
 

वित्त मत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के सात आधार बताए। इन्हें 'सप्तऋषि' कहा गया है। 
1. समावेशी विकास
2. वंचितों को वरीयता
3. बुनियादी ढांचे और निवेश
4. क्षमता विस्तार 
5. हरित विकास
6. युवा शक्ति
7. वित्तीय क्षेत्र

वित्त मंत्री ने कहा कि अमृत काल का विजन तकनीक संचालित और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है। इसके लिए सरकारी फंडिंग और वित्तीय क्षेत्र से मदद ली जाएगी। इस 'जनभागीदारी' के लिए 'सबका साथ, सबका प्रयास' अनिवार्य है।
 

अब जानते हैं सप्तऋषि के बारे में 
वेद व अन्य हिंदू धार्मिक ग्रंथों में सात ऋषियों का जिक्र किया गया है। इनमें ऋषि कश्यप, अत्रि ऋषि, भारद्वाज ऋषि, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि गौतम, जमदग्नि ऋषि, वशिष्ठ ऋषि शामिल हैं। इन्हें ही सप्तऋषि कहा गया है। सभी ऋषियों की अलग-अलग पहचान हैं।  

ऋषि कश्यप
ऋषि कश्यप पहला स्थान माना गया है। पौराणिक कथाओं अनुसार जब गणेश जी ने अगलासुर का अंत करने के लिए उसे निगल लिया था, तब पेट की जलन को शांत करने के लिए ऋषि कश्यप ने ही दूर्वा की गांठे बनाकर दी थी, जिससे गणेश जी के पेट की जलन शांत हुई थी। 

अत्रि ऋषि
दूसरे स्थान पर ऋषि अत्रि हैं। कहा जाता है कि इनकी पत्नी अनुसुइया थीं। इनके पुत्र का नाम दत्तात्रेय था। कथाओं के अनुसार, त्रेतायुग में जब प्रभु श्रीराम को वनवास मिला था, तब वे सीता और लक्ष्मण के साथ अत्रि ऋषि के आश्रम में आकर रुके थे।

भारद्वाज ऋषि
कहा जाता है कि ऋषि भारद्वाज ने महान ग्रंथों की रचना की थी। आयुर्वेद के ग्रंथ की रचना भी इन्होंने ही की थी। कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य भारद्वाज ऋषि के ही पुत्र थे।

ऋषि विश्वामित्र
ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की थी। ये भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के गुरु थे। विश्वामित्र ही श्रीराम और लक्ष्मण को सीता के स्वयंवर में ले गए थे। 

ऋषि गौतम
ऋषि गौतम पांचवें ऋषि हैं। इनकी पत्नी अहिल्या थीं। गौतम ऋषि ने ही शाप देकर अहिल्या को पत्थर बना दिया था। भगवान राम के चरण स्पर्श से अहिल्या पुनः सही हो गई थीं।

जमदग्नि ऋषि 
जमदग्नि को छठे ऋषि का स्थान दिया जाता है। परशुराम इन्हीं के पुत्र थे। कहा जाता है कि ऋषि जमदग्नि के कहने पर ही परशुराम ने अपनी माता रेणुका का सिर काट दिया था।

वशिष्ठ ऋषि
वशिष्ठ ऋषि को सातवां स्थान दिया जाता है। कहा जाता है कि वे राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के त्रेतायुग में गुरू थे।
 
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