निरंतर एक्सेस के लिए सब्सक्राइब करें
आगे पढ़ने के लिए लॉगिन या रजिस्टर करें
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ रजिस्टर्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं
विस्तार
सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) के फेल होने के बाद से अमेरिका में शुरू हुए बैंकिंग संकट का दायरा बढ़ता जा रहा है। बीते सप्ताहांत खबर आई कि देश में तकरीबन 110 बैंक एसवीबी जैसी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने बैंकों को ढाई सौ बिलियन की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई है। इसके बावजूद बैंकिंग सेक्टर के शेयरों के भावों में गिरावट जारी रही है।
विशेषज्ञों का आरोप है कि ये सारी समस्या फेडरल रिजर्व की नाकामी से पैदा हुई है। फेडरल रिजर्व एसवीबी की निगरानी करने में विफल रहा। विश्लेषज्ञों के मुताबिक जब महंगाई पर काबू पाने के लिए फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू की, तब उसने इस बात की उचित निगरानी नहीं कि उसके इस कदम का एसवीबी जैसे बैंकों पर क्या असर होगा।
अमेरिका स्थित पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकॉनमिक्स में सीनियर फेलॉ निकोलस वेरॉन ने एक इंटरव्यू में कहा- ‘दो वजहों से फेडरल रिजर्व की भूमिका उचित नजर नहीं आती। पहली, यह कि एसवीबी की निगरानी ठीक ढंग से नहीं हुई। दूसरा कारण संकट प्रबंधन से संबंधित है।’
वेरॉन ने कहा है कि एसवीबी की निगरानी में जाहिर हुई कमजोरी के लिए सिर्फ ट्रंप प्रशासन के दौर में बैंक नियमों में दी गई ढील को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। जो नियम लागू हैं, उनके तहत भी एसवीबी की निगरानी करने में फेडरल रिजर्व नाकाम रहा।
विशेषज्ञों ने कहा है कि इस घटना से अमेरिका की वित्तीय स्थिरता को लेकर गंभीर सवाल उठे हैँ। बाइडन प्रशासन ने एसवीबी में जमा पूरी रकम जमाकर्ताओं को लौटाने के लिए तुरंत कदम उठाए। हालांकि वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा कि इस कदम को बेलआउट नहीं कहा जा सकता, लेकिन कई आलोचकों ने इसे बेलआउट बताया है। उनके मुताबिक आखिरकार करदाताओं से पैसे से ही जमाकर्ताओं की डूबी रकम लौटाई जा रही है।
अमेरिका में लागू नियमों के मुताबिक सरकार प्रति खाते सिर्फ ढाई लाख डॉलर तक की जमा रकम की ही गारंटी करती है। इसलिए एसवीबी के जमाकर्ताओं की पूरी रकम लौटाने की जिम्मेदारी उस पर नहीं थी। कई अर्थशास्त्रियों ने आरोप लगाया है कि कानूनन बाध्यता ना होने के बावजूद बाइडन प्रशासन ने राजनीतिक स्वार्थ के कारण पूरी रकम लौटाने का फैसला किया। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि एसवीबी बैंक कैलिफोर्निया राज्य में है, जो सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ है।
उधर डेमोक्रेटिक पार्टी समर्थक कुछ संगठनों ने भी बाइडन प्रशासन को घेरे में लिया है। उनका कहना है कि छात्रों को उनके ऋण से राहत देने के मामले में प्रशासन ने वैसी फुर्ती नहीं दिखाई है, जैसा उसने बैंकरों को बचाने के लिए किया है। जबकि पिछले राष्ट्रपति चुनाव में बाइडन ने छात्रों का पूरा ऋण माफ करने का वादा किया था। इस मामले में प्रशासन ने आंशिक फैसला लिया, जिस पर कोर्ट ने रोक दी है।
वेरॉन ने आशंका जताई है कि अब बैंकों में जमा पूरी रकम की गारंटी करना एक स्थायी चलन बन जाएगा। उन्होंने कहा- ‘अगर प्रशासन ऐसा नहीं करता है, तो अस्थिरता का एक खास दौर आ जाएगा। लेकिन ऐसे चलन के नैतिक और बैंकों के व्यवहार संबंधी क्या परिणाम होंगे, यह बड़ा सवाल है। असल में अब सबको यह संदेश मिल गया है कि बैंकों में जमा उनकी पूरी रकम हर हाल में सुरक्षित है।’