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Amazon-Future Case: Supreme Court upset over presenting unaccounted documents, asked- Want to harass the judges?
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अमेजन-फ्यूचर केस: बेहिसाब दस्तावेज पेश करने पर सुप्रीम कोर्ट खफा, पूछा- जजों को परेशान करना चाहते हैं?
एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Tue, 23 Nov 2021 09:05 PM IST
सार
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प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा, माफ कीजिएगा लेकिन रिकॉर्ड के 22-23 वॉल्यूम जमा करने में क्या मजा मिल रहा है। एक ही जैसे दस्तावेज दोनों पक्ष कितनी बार जमा करेंगे?
अमेजन-फ्यूचर रिटेल केस में दायर कई सारी याचिकों के पक्षकारों द्वारा कोर्ट में बेहिसाब दस्तावेज पेश करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने पूछा कि इसका मकसद मामले को लंबा खींचना है या जजों को परेशान करना? इसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षों से एक जैसे दस्तावेजों का छोटा संकलन बनाकर उसे कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना एवं जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने मंगलवार को पक्षकारों के वकीलों से कहा कि वे दस्तावेजों का छोटा सेट जमा कराएं ताकि मामले का जल्दी निपटारा हो सके। कोर्ट ने आठ दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख तय की है।
22-23 वॉल्यूम जमा करने में क्या मजा मिल रहा : जस्टिस रमण
प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा, माफ कीजिएगा लेकिन रिकॉर्ड के 22-23 वॉल्यूम जमा करने में क्या मजा मिल रहा है। एक ही जैसे दस्तावेज दोनों पक्ष कितनी बार जमा करेंगे? ये मामले को लंबा खींचने के लिए है या जजों को परेशान करने के लिए?
ये बिलकुल गैरजरूरी : साल्वे
इस पर फ्यूचर समूह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि ये बिलकुल गैरजरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि दोनों पक्ष आपस में बैठकर चर्चा कर सकते हैं और उसके बाद छोटे-छोटे नोट्स के साथ एक जैसे दस्तावेजों का संकलन जमा किया जा सकता है। इस पर पीठ ने वकीलो से कहा, हमें कुछ समय दें और तब तक आप एक काम करें, आप जिन दस्तावेजों को जरूरी समझते हैं उनका संकलन बनाएं।
ये है मामला
किशोर बियानी के नेतृत्व वाले फ्यूचर समूह ने रिलायंस रिटेल के साथ 24,731 करोड़ रुपये का विलय समझौता किया था। इस समझौते को अमेजन ने सिंगापुर की इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) में चुनौती दी थी। एसआईएसी ने इस सौदे पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इस आदेश को फ्यूचर समूह ने भारतीय आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में चुनौती दी लेकिन ट्रिब्यूनल ने इस फैसले में दखल से इनकार कर दिया था। इसके बाद फ्यूचर समूह दिल्ली हाईकोर्ट गया लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। यहां तक कि अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने भी सिंगापुर आर्बिट्रेटर के फैसले को भारत में लागू करने योग्य बताते हुए इस सौदे पर अंतिम फैसला आने तक रोक लगा दी थी। मामला अभी विस्तृत सुनवाई के दौर में है।
अमेजन को क्या परेशानी है इस सौदे से
अमेजन ने फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपन्स में 49 प्रतिशत हिस्सा ले रखा है। इसके लिए उसने 2019 में फ्यूचर समूह को 1431 करोड़ रुपये दिए थे। फ्यूचर कूपन्स के पास फ्यूचर रिटेल के 10 प्रतिशत शेयर हैं। यानी एक तरह से अमेजन के पास फ्यूचर रिटेल के करीब 5 प्रतिशत शेयर हैं। इस सौदे के समय दोनों कंपनियों में ये करार हुआ था कि बिना अमेजन की सहमति के फ्यूचर रिटेल का कारोबार रिलायंस को नहीं बेचा जाएगा। हालांकि 2020 में किशोर बियानी ने ये कारोबार रिलायंस को बेच दिया। अमेजन ने समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
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