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Report : 2030 तक देश के 2.35 करोड़ लोग गिग वर्क से जुड़ करेंगे जीवनयापन, नीति आयोग का दावा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विवेक दास Updated Mon, 27 Jun 2022 07:25 PM IST
सार

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 26.6 लाख गिग वर्कर रिटेल, ट्रेड और सेल्स के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, जबकि 13 लाख लोग ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में काम कर रहे हैं।

2.35 crore people of the country will make a living by working online from home, claims NITI Aayog report on gig workers
Square work-from-home - फोटो : Square

विस्तार

नीति आयोग की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2029-30 तक लगभग 2.35 करोड़ गिग इकोनॉमी से जुड़ जाएंगे। वे गिग वर्क मतलब किसी कंपनी या संस्थान से अस्थायी तौर पर जुड़कर अपना जीवनयापन कर सकेंगे। यह आबादी देश के कुल मानवबल का लगभग 4.1 प्रतिशत होगा। नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2020-21 में गिग इकोनॉमी से तकरीबन 77 लाख लोग जुड़े हुए हैं। गिग इकोनॉमी और प्लेटफॉर्म पर नीति आयोग की यह रिपोर्ट सोमवार को जारी की गयी है। नीति आयोग की इस रिपोर्ट में गिग इकोनॉमी से जुड़कर काम करने वाले कामगारों और उनके परिजनों की समाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के सुझाव भी दिए गए हैं। 



नीति आयोग की रिपोर्ट जिसका नाम इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी (India's Booming Gig and Platform Economy) है, में बताया गया है कि साल 2029-30 तक भारत में गैर कृषि कार्यों से जुड़े कामगारों के 6.7 प्रतिशत लोग गिग इकोनॉमी से जुड़ जाएंगे। यह देश के कुल वर्कफोर्स का लगभग 4.1 प्रतिशत होगा। 


रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 20-21 में देश में गिग इकोनॉमी से लगभग 77 लाख लोग जुड़े हुए थे। फिलहाल यह आंकड़ा गैर कृषि कार्यों से जुड़े कामगारों का लगभग 2.4 प्रतिशत जबकि हमारे देश के कुल वर्कफोर्स का 1.3 प्रतिशत है।  

कौन होते हैं गिग वर्कर्स? (Who are gig workers)

दरअसल गिग वर्कर्स वे लोग होते हैं जो परंपरागत कामगारों से अलग तरीके से काम करते हैं। प्रत्येक कारोबार में कुछ काम ऐसे होते हैं जिनको स्थायी कर्मचारी के बजाए गैर स्थायी कर्मचारी से कराया जा सकता है। ऐसे काम के लिए कंपनियां कर्मचारियों को काम के आधार पर भुगतान करती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो काम के बदले भुगतान के आधार पर रखे गए कर्मचारियों को गिग वर्कर (Gig Worker) कहा जाता है। हालांकि, ऐसे कर्मचारी कंपनी के साथ लंबे समय तक भी जुड़े रह सकते हैं। 

गिग वर्कर के तौर पर काम करने वाले कर्मचारी और कंपनी के बीच एक समझौता होता है। इस समझौता के तहत कर्मचारी की कंपनी की कॉल पर काम करना होता है। इस काम  के आधार पर ही कंपनी गिग वर्कर को मेहनताने का भुगतान करती है। इन कर्मचारियों को कंपनी के स्थायी कर्मचारियों की तरह कंपनी की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसे वेतन-भत्ते आदि का लाभ नहीं मिलता है। ज्यादातर गिग वर्कर अपेक्षाकृत युवा होते हैं। उनके दिनभर के काम के घंटे भी परंपरागत वर्कर्स की तुलना में कम होते हैं।  

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 26.6 लाख गिग वर्कर रिटेल, ट्रेड और सेल्स के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, जबकि 13 लाख लोग ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में काम कर रहे हैं। इसके अलावे 6.3 लाख लोग निर्माण और 6.2 लाख लोग बीमा और फाइनेंस सेक्टर से जुड़े हैं।
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वर्तमान में 47 प्रतिशत गिग वर्कर मीडियम स्किल जॉब में हैं, जबकि 22 प्रतिशत हाई स्किल और 31 प्रतिशत लो स्किल जॉब में हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट में गिग वर्कर्स और उनके परिजनों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए भी जुझाव दिये गए हैं। नीति आयोग की यह रिपोर्ट सोमवार को आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, सीईओ अमिताभ कांत और विशेष सचिव डॉ. के. राजेश्वर राव ने जारी की है।

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