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Budget Reduction in child welfare Labor Ministry may be increase in child labor child abuse cases
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Budget: श्रम मंत्रालय के बाल कल्याण बजट में कमी, बालश्रम और बाल दुर्व्यापार के मामलों में हो सकती है वृद्धि
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: निर्मल कांत
Updated Thu, 02 Feb 2023 03:25 PM IST
सार
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श्रम मंत्रालय के बजट में हुई इस कमी से बाल श्रम और चाइल्ड ट्रैफिकिंग में इजाफा हो सकता है। यह लगातार तीसरा साल है, जब श्रम मंत्रालय के बच्चों के कल्याण के बजट में कमी की गई है।
बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी
- फोटो : अमर उजाला
‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट में श्रम मंत्रालय के बच्चों के कल्याण के लिए बजट आवंटन में की गई कमी पर चिंता जताई है। पिछले साल की तुलना में इस साल श्रम मंत्रालय के इस मद में 33 फीसदी की कटौती की गई है। इसके कारण यूनाईटेड नेशन के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी- 2025) तक ‘चाइल्ड लेबर फ्री वर्ल्ड’ को हासिल करने के प्रयासों को धक्का लग सकता है।
श्रम मंत्रालय के बजट में हुई इस कमी से बाल श्रम और चाइल्ड ट्रैफिकिंग में इजाफा हो सकता है। यह लगातार तीसरा साल है, जब श्रम मंत्रालय के बच्चों के कल्याण के बजट में कमी की गई है। साल 2021-22 में यह बजट 120 करोड़ रुपए था, साल 2022-23 में इसे 30 करोड़ रुपए कर दिया गया है और साल 2023-24 में यह घटकर 20 करोड़ रह गया है।
इस बार पिछले साल के मुकाबले बच्चों के कुल बजट में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ नई स्कीम पीएम श्री (स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) की सराहना करता है, जिसके लिए चार हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह एक अच्छा कदम है। इसके तहत पांच साल में 14,500 स्कूल खोलने का लक्ष्य है, जिसमें 20 लाख स्टूडेंट्स शिक्षा हासिल कर सकेंगे। साथ ही यह योजना नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के लागू होने में भी सहायक होगी।
शिक्षा मंत्रालय के बजट में भी 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि, इसे और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए था, ताकि 18 साल की उम्र तक सभी को मुफ्त शिक्षा दी जा सके। शिक्षा बाल विवाह को रोकने में सबसे कारगर हथियार है। वहीं, मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर के बजट में सरकार ने 162 प्रतिशत की वृद्धि कर अच्छा कदम उठाया है। यह देश के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिए शिक्षा की राह आसान करेगी।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड रिडक्शन (एनएपीडीडीआर) के लिए बजट में वृद्धि का स्वागत करता है। इस मद में 56 फीसदी की वृद्धि हुई है। इससे देश में ड्रग पर शिकंजा कसने में मदद मिलेगी और नई पीढ़ी को नशे से बचाया जा सकेगा।
‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा, ‘इस साल के बजट से बच्चों के लिए और ज्यादा की उम्मीद थी। हालांकि बजट में बच्चों के लिए कुछ अच्छी बातें हैं, तो कुछ मामलों में और भी बेहतर किया जा सकता था। एसडीजी लक्ष्य 2025 को हासिल करने के लिए देश को काफी कुछ करने की जरूरत है, ऐसे में बच्चों के लिए सरकार को और अधिक प्रयास करने चाहिए। बालश्रम, बाल दुर्व्यापार और बाल विवाह जैसी बुराइयों के खात्मे के लिए श्रम मंत्रालय और मनरेगा जैसी योजनाओं के बजट में कमी के बजाए वृद्धि करनी चाहिए थी।
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