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Bridge Collapse: bridge was being built for 9 years, 10 percent of cost was immersed in Ganges, Nitish Kumar
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Bhagalpur Bridge Collapse: नौ साल से बन ही रहा पुल, दो साल में लागत की 10 फीसदी राशि गंगा में डूबी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: आदित्य आनंद
Updated Mon, 05 Jun 2023 02:42 PM IST
Bihar News : पुल बनाने वाली कंपनी की गलतियां सामने आती हैं, लेकिन वजह न तो कंपनी बताती है और न सरकार। पिछली दफा भी यही हुआ, इस बार भी यही। और प्रोजेक्ट मिलता जाता है।
बिहार सरकार अब जांच कराए या यह दावा करे कि पुल गिरने की आशंका पहले ही थी; आमजन कोई तर्क स्वीकारने को तैयार नहीं है। मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने महागठबंधन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को पहली बार भ्रष्टाचार पर घेरना शुरू किया है तो आम जनता सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के ढहने की तस्वीर लगाकर सरकार को ट्रोल कर रही है। नौ साल से यह पुल एक कंपनी बना रही है और कुल लागत की 10% राशि दो साल के अंदर गंगा में समाती दिख चुकी है।
बिहार में कई प्रोजेक्ट इस कंपनी के पास
गंगा नदी पर बन रहे सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल को दूसरी बार लोगों ने ढहते देखा। करीब 3160 मीटर लंबे निर्माणाधीन पुल का लगभग 600 मीटर हिस्सा, यानी करीब 20% गंगा में समा चुका है। अप्रैल 2022 में करीब 200 मीटर और इस बार लगभग 400 मीटर नदी में समाया है। इस पुल के निर्माण का टेंडर एसपी सिंगला कंपनी के नाम खुला था। 2014 से पुल 'निर्माणाधीन’ ही है। कुछ दिनों पहले ही आठवीं और कथित तौर पर अंतिम डेडलाइन मिली थी 31 दिसंबर 2023 की। इससे पहले इसी माह के अंत तक पुल का निर्माण कार्य पूरा करने की डेडलाइन थी। पटना आउटर रिंग रोड, सिमरिया के नए सेतु समेत इस कंपनी को बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई ड्रीम प्रोजेक्ट मिले हुए हैं। तारीख-दर-तारीख बढ़ती रहती है और कार्रवाई नहीं होने के कारण सवाल उठते रहते हैं, लेकिन इसपर न तो सरकार सीधे तौर पर कुछ कहती है और न कंपनी के अधिकारी मीडिया से बात करते हैं।
गिरना तय था या 31 दिसंबर तक बन जाना- दोनों दावे सरकारी
1710 करोड़ से भी ज्यादा हो जाएगी लागत?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पुल के दूसरी बार गिरने से बिफरे हुए हैं। रविवार को उन्होंने जांच के आदेश दिए और सोमवार को दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया। "पुल को गिरना ही था"- उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की बात से इत्तेफाक नहीं रखते हुए मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि पहली बार गिरने पर भी जांच कराने कहा था, इस बार तत्काल जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। बिहार में निर्माणकारी एजेंसी पर कार्रवाई के कारण प्रोजेक्ट की राशि बढ़ने के भी केस हो चुके हैं और अगर मुख्यमंत्री के निर्देश पर दोषी एजेंसी पर कार्रवाई हुई तो लागत राशि बढ़ने की खबर भविष्य में आ सकती है।
धूप में ढहा या मछलियों की दौड़भाग से गिरा!
3160 मीटर लंबे पुल का 200 मीटर का सेगमेंट 30 अप्रैल 2022 को आंधी में गिर गया था। तब पिलर नंबर 4-6 के बीच का हिस्सा गिरा था। अब जब 04 जून 2023 को पिलर नंबर 10-13 के बीच 400 मीटर सेंगमेंट ढहा तो लोगों ने मजाक उड़ाना शुरू किया कि इस बार धूप में पुल ढह गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने यह तक लिखा कि मछलियों की ज्यादा दौड़भाग से यह हादसा हुआ है। बहरहाल, इस बार के नुकसान का प्राथमिक आकलन करीब 150 करोड़ का है। मतलब, दो बार मिलाकर कुल लागत का 10% से ज्यादा लागत राशि गंगा में समा चुकी है।
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डिजाइन या तकनीकी गड़बड़ी...जांच रहे हैं
कंपनी की ओर से न 2022 के पुल ढहने पर औपचारिक बयान आया और न अब। सरकार ने 2022 की घटना के बाद जांच के लिए आईआईटी रूड़की को कैसा जिम्मा दिया कि वह रिपोर्ट भी अबतक सार्वजनिक नहीं हुई। रविवार को आननफानन में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जो बयान दिया, उसमें भी वजह साफ नहीं हुई। पुल निर्माण निगम की ओर से जांच की ही बात कही जा रही है। मौके पर मिले पुल निर्माण निगम के सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर योगेंद्र कुमार ने भी यही कहा कि डिजाइन या तकनीकी गड़बड़ी के कारण यह गिरा, असली वजह की जानकारी अभी नहीं है।
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