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Brahmeshwar Mukhiya : शांत होने के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया को किसने मारा, 11 साल बाद भी अगड़ी जातियां पूछ रहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: आदित्य आनंद Updated Thu, 01 Jun 2023 08:52 AM IST
सार

Bihar News : 11 वर्षों में एक बात बदलते-बदलते बदल गई है कि ब्रह्मेश्वर मुखिया के मर्डर की उस तारीख को भूमिहार ब्राह्मण के साथ बाकी अगड़ी जातियों ने भी 'शहादत दिवस' मान लिया है। क्यों, यह समझने के लिए पढ़ें आज, अभी की हकीकत।

Brahmeshwar Mukhiya Death: Even after 11 years no clue was found in murder case, martyrdom day in Bihar
ब्रह्मेश्वर मुखिया की फाइल फोटो। - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार
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2012 में जून की पहली तारीख को पूरा बिहार हिल गया था। 1990 के दशक में पिछड़ी जाति के लोग नरसंहार करते थे तो उनका कोई एक चेहरा सामने नहीं आता था, लेकिन अगड़ी जातियों की ओर से प्रतिरोध का सामने चेहरा होता था ब्रह्मेश्वर मुखिया का। दौर बदलने के बाद बिहार जब शांत हुआ तो ब्रह्मेश्वर मुखिया ने भी इन बातों से किनारा किया। फिर एक दिन वह शांति भंग हुई, जब घर के पास ही ब्रह्मेश्वर मुखिया का मर्डर हो गया। यह बाकी मर्डर की तरह नहीं था, इसलिए आजतक कातिल कानून के फंदे से दूर है। खैर, अब 2023 है और 11 वर्षों में एक बात बदलते-बदलते बदल गई है कि ब्रह्मेश्वर मुखिया के मर्डर की उस तारीख को भूमिहार ब्राह्मण के साथ बाकी अगड़ी जातियों ने भी 'शहादत दिवस' मान लिया है।



तब मर्डर से पूरे बिहार में तनाव की आशंका थी
एक जून, 2012 को ब्रह्मेश्वर मुखिया रोजाना की तरह मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। मुखिया के घर के पास एक गली के पहले मोड़ पर खड़ा होकर एक अपराधी आने-जाने वालों पर निगाह रख रहा था। दो अपराधी बाइक पर सवार था। वहीं एक अन्य अपराधी जिसने लाल टी-शर्ट पहनी हुई थी, उसके पास हथियार था। मुखिया को देखते ही वह ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगा। देखते ही देखते कई गोलियां मुखिया के आरपार कर दी। पल भर में मुखिया ने दम तोड़ दिया। ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या की खबर आग की तरह पूरे बिहार में फैल गई। नवादा थाना समेत पूरे आरा की पुलिस वहां पहुंच गई। किसी को एहसास भी नहीं था कि अगले दो दिनों तक क्या होने वाला है। मुखिया की हत्या की जिसने भी जहां सुनी, वह वहीं से आरा के कूच कर गए। सुबह 10 बजे तक लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। कई लोग तो इसलिए पहुंचे थे कि उन्हें देखना था कि ब्रह्मेश्वर मुखिया दिखते कैसे थे। 11 बजे तक भोजपुर, बक्सर, पटना, जहानाबाद, अरवल समेत कई जिलों से लोग कातिरा मोहल्ला स्थित ब्रह्मेश्वर मुखिया के आवास की ओर आने लगे। लोगों का आक्रोश इतना बढ़ गया कि पोस्टमार्टम के लिए लाश उठाने पहुंची पुलिस को बैक होना पड़ा। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भीड़ हिंसा के लिए तैयार होने लगी थी। उस वक्त के नामी विधायक और वरीय नेता भी ब्रह्मेश्वर मुखिया की आवास की तरफ बढ़ रहे थे। इसी बीच भीड़ से किसी ने कहा कि "मारो नेता सबको" इतना कहते ही भीड़ रोड़ेबाजी करने लगी। नेताओं को बैरंग लौटना पड़ा। आक्रोशित भीड़ ने पटना-आरा हाईवे को जाम कर दिया। इसके बाद कई गाड़ियां फूंक दी गई। आरा के सर्किट हाउस को आग लगा दिया गया। ऐसा लग रहा था कि हिंसा की आग पूरे बिहार में फैल जाएगी। अगले दिन शव यात्रा निकाली गई। आरा शहर से पटना के बांसघाट आ रही शवयात्रा में शामिल लोगों ने पटना में जमकर बवाल मचाया। पुलिस और आम लोगों की गाड़ियां फूंक दी। कई वरीय नेता और विधायको के साथ धक्का-मुक्की की। मीडियाकर्मियों पर भी हमला बोला। हालांकि, पुलिस ने प्रतिक्रिया में कोई कार्रवाई नहीं की। 

 

Brahmeshwar Mukhiya Death: Even after 11 years no clue was found in murder case, martyrdom day in Bihar
ब्रह्मेश्वर मुखिया की शव यात्रा में शामिल लोग। - फोटो : सोशल मीडिया
ब्रह्मेश्वर मुखिया के हत्यारे कानून से दूर
65 साल के ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के 11 साल बीत गए लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पाया कि इस वारदात को किसके इशारे पर अंजाम दिया गया? गोली मारने वाले कौन थे? हत्या के पीछे की वजह क्या है? इन सब सवालों का कोई ठोस जवाब आज तक नहीं मिल पाया। जबकि, पिछले 11 साल से इसकी जांच  CBI कर रही है। लम्बा वक्त बीतने के बाद भी इस कांड का रिजल्ट पूरी तरह से जीरो है। CBI की टीम को अब तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा। CBI ने इस मामले में 10 लाख रुपए का इनाम दिए जाने की घोषणा की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 

इस बार आ रहे ब्राह्मण जाति के बाजीराव पेशवा के प्रपौत्र आ रहे
आज राष्ट्रवादी किसान संगठन के बैनर तले पटना के बापू सभागार में भव्य कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है। कार्यक्रम के संयोजक कौशल शर्मा ने बताया कि आगामी 1 जून को पटना के बापू सभागार में ब्रह्मेश्वर मुखिया जी की 11वीं शहादत समारोह मनाया जाएगा। इसमें बिहार के 38 जिलों के अलावा यूपी और झारखंड से भी लोग आ रहे हैं। दावा है कि इसमें 40 से 50 हजार लोगों की भीड़ जुटेगी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बाजीराव पेशवा के परपौत्र शामिल होंगे। 
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