अक्सर आपने देखा होगा कि कई कारों में कंपनियों से दो साइज के टायर दिए जाते हैं। सामान्य तौर पर चार टायर एक ही साइज के होते हैं, लेकिन स्टेपनी में दिए जाने वाले टायर का साइज अलग होता है। हम इस खबर में आपको बता रहे हैं कि आखिरकार कंपनियों की ओर से ऐसा क्यों किया जाता है।
बूट स्पेस पर होता है फर्क
आज के समय में कई कंपनियों की ओर से कार के टायर के साइज में फर्क रखा जाता है। ऐसा करने के कई कारण होते हैं। इसमें पहला कारण यह होता है कि अगर टायर का साइज छोटा रखा जाए तो इससे बूट स्पेस में कम जगह का उपयोग होता है। इसके साथ ही अगर टायर का साइज बड़ा होता है तो कई बार जरूरत के समय उसे निकालने में परेशानी भी होती है।
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अमरजेंसी के लिए होते हैं ये टायर
कंपनियों का मानना है कि स्टेपनी में दिए जाने वाले टायर का उपयोग सिर्फ अमरजेंसी के समय ही किया जाता है। ऐसे में उसका उपयोग सामान्य टायर जितना नहीं होता। सिर्फ मेन टायर के पंचर होने या खराब होने की स्थिति में ही उसे कुछ किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए दिया जाता है।
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रबड़ भी होती है कमजोर
सामान्य टायर्स के मुकाबले में स्टेपनी वाले टायर की रबड़ भी कमजोर होती है। जिससे उसे ज्यादा तेज स्पीड में नहीं चलाया जा सकता। ऐसे टायर्स को ज्यादातर 80 से 100 किलोमीटर की स्पीड तक चलाने के लिए ही बनाया जाता है।
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होती है बचत
ऊपर दिए कारणों के साथ ही कंपनियों के ऐसा करने पर उन्हें फायदा भी होता है। अगर एक साइज छोटा एक टायर हर कार में दिया जाता है तो उससे कंपनियों को आर्थिक तौर पर भी फायदा होता है। क्योंकि अन्य टायर्स की तुलना में स्टेपनी टायर का साइज छोटा होने से इसकी कीमत भी कम होती है।
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