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Bombay High Court rules insurance companies liable to pay compensation to accident victim even in this case
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High Court: हाईकोर्ट का आदेश- ऐसे मामले में भी बीमाकर्ता को सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा देना होगा
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Sat, 03 Jun 2023 07:30 PM IST
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि बीमा कंपनियां दुर्घटना पीड़ित के परिजनों को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं, भले ही नियम का उल्लंघन करने वाले वाहन चालक का लाइसेंस अमान्य या एक्सपायर हो गया हो।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि बीमा कंपनियां दुर्घटना पीड़ित के परिजनों को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं, भले ही नियम का उल्लंघन करने वाले वाहन चालक का लाइसेंस अमान्य या एक्सपायर हो गया हो। बंबई उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि अगर उल्लंघन करने वाले वाहन चालक का लाइसेंस एक्सपायर हो गया है और उसका रिन्युअल (नवीनीकरण) नहीं हुआ है, तो भी यह उसे अकुशल चालक नहीं बनाता है।
क्या है मामला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए एक बड़ी बीमा कंपनी को नवंबर 2011 में एक दुर्घटना में जान गंवाने वाली महिला के परिवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि बीमा कंपनी बाद में आपत्तिजनक वाहन के मालिक से मुआवजे की राशि वसूल कर सकती है।
परिजनों की याचिका पर फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने वाली मृत महिला के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसमें बीमा कंपनी को मुआवजे का भुगतान करने से छूट दी गई थी क्योंकि वाहन के चालक का ड्राइविंग लाइसेंस एक्सपायर हो गया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "दुर्घटना के समय चालक के ड्राइविंग लाइसेंस को रिन्यू नहीं किया गया था। इसका मतलब यह नहीं है कि वह एक कुशल चालक नहीं था।"
कानून का स्थापित सिद्धांत
बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यह कानून का एक स्थापित सिद्धांत है कि अगर दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास प्रभावी और वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, तो बीमा कंपनी को पीड़ित या उसके परिवार पहले मुआवजा देना होगा और बाद में इसे वाहन के मालिक से वसूल कर सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने इस कारक पर विचार नहीं किया और मशीनी तरीके से बीमा मुआवजे के दावे को खारिज करते हुए अपना आदेश पारित कर दिया।
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