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Astrology: राहु और गुरु से कैसे बनता है अष्टलक्ष्मी योग, राहु की क्या होती है भूमिका ?
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Tue, 21 Mar 2023 02:05 PM IST
सार
ज्योतिष में राहु और गुरु की युति को अशुभ कहा जाता है और इसे गुरु चांडाल योग की संज्ञा दी जाती है लेकिन इसी राहु और गुरु की वजह से कुंडली में अष्ट लक्ष्मी योग बनता है।
rahu gochar 2023: वैदिक ज्योतिष में धन योग के लिए दूसरे, पंचम, नवम और एकादश भाव को प्रधानता दी जाती है।
- फोटो : अमर उजाला
वैदिक ज्योतिष में धन योग के लिए दूसरे, पंचम, नवम और एकादश भाव को प्रधानता दी जाती है। इन भावों में विराजमान शुभ ग्रह और भाव के स्वामियों के आपस में परिवर्तन से बलवान धन योगों का निर्माण होता है लेकिन क्या आपको पता है कि राहु से भी धन योग बनता है ? जी हां राहु से बनने वाला धनयोग बेहद बलवान भी होता है। हालांकि आम तौर पर ज्योतिष में राहु और गुरु की युति को अशुभ कहा जाता है और इसे गुरु चांडाल योग की संज्ञा दी जाती है लेकिन इसी राहु और गुरु की वजह से कुंडली में अष्ट लक्ष्मी योग बनता है।
कैसे बनता है आखिर अष्ट लक्ष्मी योग ?
हमारे धर्म के लक्ष्मी के 8 प्रकार या रूप है। आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, भाग्य लक्ष्मी , विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी ये सब अष्ट लक्ष्मी कही जाती है और कुंडली में सिर्फ एक ही स्थिति से ये योग बनता है। अगर किसी की कुंडली के छठे भाव यानी शत्रु भाव में अगर राहु हो और दशम भाव यानी कर्म भाव में गुरु हो तो इस राजयोग का निर्माण होता है। ऐसा जातक अपने शत्रुओं का दमन कर उनकी लक्ष्मी को प्राप्त करता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि राहु की दृष्टि गुरु पर और गुरु की दृष्टि राहु पर होगी।
राहु कर्म भाव को देखकर जीवन के शुरूआती वर्ष में जातक को दिक्क्त देते हैं लेकिन एक समय के बाद वो राज्य प्राप्त करता है वहीं दूसरी ओर गुरु छठे भाव को देखकर राजनीति और कूटनीति की समझ विकसित करते है इसलिए सिर्फ यही एक ऐसा योग है जिसे गुरु चांडाल योग से इतर अष्ट लक्ष्मी योग से पुकारा जाता है। कई विद्वानों का यह भी मत है कि इस योग में कई बार जातक को आकस्मिक धन की भी प्राप्ति होती है। गुरु और राहु का यह योग जातक को आध्यात्मिक उन्नति भी देने का काम करता है।
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