झांसी। अगामी पंचायत चुनावों में सीटों का आरक्षण तय करने में अब अफसर मनमानी नहीं कर सकेंगे। आरक्षण तय करने में होने वाले विवादों को देखते हुए पंचायती राज महकमा इस बार तकनीक का सहारा लेने का फैसला किया है। इसको लेकर पंचायती राज विभाग ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।
पंचायत चुनाव में सर्वाधिक विवाद सीटों के आरक्षण तय करने में फंसता है। हर सीट पर प्रत्येक वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के इरादे से वर्ष 1995 से चक्रानुक्रम आरक्षण व्यवस्था लागू हुई। अमूमन जिस वर्ग के लिए सीट आरक्षित हुई उसके अगले चुनाव में उसे छोड़, दूसरे वर्ग को वह सीट मिलनी चाहिए लेकिन, कई बार राजनैतिक एवं स्थानीय दबाव में एक वर्ग को ही सीटें आरक्षित हो जाती हैं। इस वजह से चुनाव के बाद तक विवाद बना रहता है। पिछले चुनावों में हुए विवादों से सीख लेते हुए पंचायती राज महकमा अब पारदर्शी व्यवस्था तैयार करने की कवायद में जुटा है। इसके लिए पंचायत चुनाव-2020 नाम से साफ्टवेयर अपलोड किया गया है। इसके लिए वर्ष 1995-2015 के बीच सभी ग्राम पंचायतों की आबादी समेत अन्य आकड़े की फीडिंग का कराई जा रही है। अधिकारियों का कहना है चुनावी प्रक्रिया आरंभ होते ही शासन के फैसले के मुताबिक साफ्टवेयर के जरिए आरक्षण तय कर दिया जाएगा हालांकि स्थानीय जरूरतों को देखते हुए दो प्रतिशत सीटों में बदलाव का अधिकार स्थानीय अफसरों को भी दिया गया है। डीपीआरओ के मुताबिक इस संबंध में फीडिंग का काम कराया जा रहा है।
चक्रानुक्रम आरक्षण की उम्मीद अधिक
वर्ष 1995 से चक्रानुक्रम आरक्षण की व्यवस्था आरंभ हुई। आठ चरणों का चक्रानुक्रम माना जाता है। इस तरह अभी छह चरण पूरे हुए हैं जबकि दो चरण शेष हैं। ऐसे में चक्रानुक्रम आरक्षण के मुताबिक चुनाव कराने की उम्मीद अधिक जताई जा रही। चक्रानुक्रम व्यवस्था में पहला नंबर एसटी महिला का होगा। कुल आरक्षित सीटों में एक तिहाई इस वर्ग की महिलाओं को जबकि शेष सीट एसटी महिला एवं पुरूष को मिलेंगी। इसके बाद एसी के 21 प्रतिशत पद होंगे। इनमें एक तिहाई सीट एससी महिला जबकि बाद शेष बची सीट महिला एवं पुरूष के लिए होंगी। इसी तरह ओबीसी वर्ग में एक तिहाई सीटें पहले महिलाओं एवं शेष महिला-पुरूष के लिए होंगी। सामान्य वर्ग के लिए एक तिहाई सीट महिलाओं को आरक्षित होंगी।