जिंदगी के तेरह साल पाकिस्तान की जेलों में काटने के बाद ललितपुर के संतवासा गांव का सोनू सिंह उर्फ सोहन सिंह (35 वर्ष) वापस अपने देश में लौटा आया है। हालांकि, अभी वो अमृतसर के कम्यूनिटी सेंटर में है और ललितपुर लाने की कार्यवाही लगातार जारी है। सोनू के वापस भारत लौटने की सूचना पर उसके पिता और चाचा उससे मिलने अमृतसर पहुंच गए। पिता को देखते ही सोनू उनसे लिपट गया और फफक - फफककर रो पड़ा।
संतवासा निवासी रोशन सिंह लोधी के चार बेटे हैं, जिनमें सोनू सबसे छोटा बेटा है। सोनू सिंह छठवीं क्लास तक गांव में ही पढ़ा था। इसके बाद वह अन्य परिजनों के साथ खेती करने लगा। लगभग 18-19 साल की उम्र में वह बाबा बनने की कहकर घर से कहीं निकल गया और उसका दिमागी संतुलन भी ठीक नहीं था। पूरा परिवार उसकी तलाश में भटकता रहा। लेकिन, उसका पता नहीं चला। इसी साल उन्हें सूचना मिली कि सोनू पाकिस्तान की जेल में बंद है।
इसके बाद बीते 26 अक्तूबर को इंटेलीजेंस ब्यूरो ने थानाध्यक्ष मड़ावरा को सोनू के पाकिस्तान से रिहा होकर अमृतसर में पहुंचने की जानकारी दी। अमृतसर पहुंचने पर सोनू को नारायणगढ़ के कम्यूनिटी सेंटर में क्वारंटीन किया गया था। जानकारी होते ही पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। पिता और चाचा उदय सिंह अमृतसर पहुंच गए। 13 साल बाद एकदूसरे को सामने देखकर सोनू और उसका पिता दोनों ही बेहद भावुक हो गए। सोनू पिता के गले लगकर फफक - फफककर रो पड़ा। पिता की आंखों से भी खुशी के आंसू छलक पड़े। ये दृश्य देखकर पुनर्वास केंद्र में मौजूद कर्मचारियों की आंखें भी नम हो गईं।
कई जेलों में रहा सोनू
पाकिस्तान में तेरह साल के दरम्यान सोनू को कई अलग-अलग जेलों में रखा गया। वो भारत वापस लौटने की उम्मीद छोड़ चुका था। लेकिन, सजा पूरी होने के बाद उसे रिहा कर वापस भेज दिया गया था। सोनू मानसिक रूप से खासा कमजोर हो चुका है। वह ये नहीं बता पाया कि उसने पाकिस्तान की किन जेलों में सजा काटी। यहां तक कि वो ये भी नहीं बता पा रहा है कि वो किस रास्ते से पाकिस्तान गया और कहां गिरफ्तार हुआ।
प्रशासन का पत्र पहुंचने पर आ पाएगा ललितपुर
सोनू सिंह के पिता व चाचा उसे ललितपुर वापस लाने के लिए अमृतसर पहुंच गए हैं। लेकिन, जरूरी दस्तावेज साथ न होने की वजह से अभी सोनू को उनकी सुपुर्दगी में नहीं दिया गया है। पिता सोनू की पहचान के लिए वोटर और राशन कार्ड लेकर गए थे। राशन कार्ड में सोनू सिंह का नाम छठवें स्थान पर दर्ज है। रोशन सिंह ने गांव के सरपंच का पत्र भी नारायणगढ़ पुनर्वास केंद्र के अधिकारियों को सौंपा, जिसमें इस बात की तस्दीक थी कि सोनू संतवासा गांव का निवासी है।
जब केंद्र के अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस थाना प्रभारी, एसडीएम और जिला प्रशासन की तरफ से सोनू की पहचान के बारे में पत्र मांगे तो उनके पास ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं था। पुनर्वास केंद्र के अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान से रिहा होकर आने वाले भारतीयों के लिए जिला प्रशासन का पत्र जरूरी है। जब तक यह औपचारिकता पूरी नहीं होती सोनू को उन्हें नहीं सौंपा जा सकता। सुरक्षा अधिकारी मनिंदर सिंह ने उन्हें अपने थाना या सब डिवीजन ऑफिस से फैक्स से प्रमाण पत्र मंगवाने को कहा।
गांव में खुशी का माहौल
सोनू सिंह 13 साल पहले अचानक लापता हो गया था। शुरुआत में परिजनों ने उसकी खूब तलाश की, लेकिन पता नहीं चल सका। गांव वालों ने भी मान लिया था कि अब शायद ही कभी सोनू वापस लौट पाएगा। लेकिन, अचानक पाकिस्तान से रिहा होकर भारत पहुंचने की खबर पाते ही गांव में सभी लोगों के चेहरे खिल उठे। अब सभी उसके वापस गांव लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
अमृतसर के इंटेलीजेंस ब्यूरो द्वारा ग्राम सतवांसा के सोनू सिंह के पाकिस्तान की जेल में होने और बीते 26 अक्तूबर को सोनू के रिहा होकर अमृतसर लौटने की जानकारी दी गयी थी, जिस पर उन्होंने गांव जाकर सोनू के परिजनों को उनके बेटे के पाकिस्तान से लौट आने की जानकारी दी थी। इंटेलीजेंस द्वारा सोनू के संबंध में मुकदमा दर्ज होने के संबंध में जानकारी मांगी गई थी, जिस पर उन्हें बताया था कि सोनू के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं है।
-कृष्णवीर सिंह, थानाध्यक्ष मड़ावरा।
जानकारी मिली है कि ग्राम सतवांसा निवासी एक व्यक्ति को कुछ प्रमाण पत्र की जरूरत है। हालांकि, अभी तक कोई परिजन या इस प्रकार की सूचना नहीं आई है। वह आकर बताएं कि किस प्रकार के प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, जो मदद हो सकेगी, की जाएगी।
-सत्यपाल सिंह, उपजिलाधिकारी, मड़ावरा।