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Farmer Yashpal of Rewari Haryana is earning profit by doing organic farming
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जैविक खेती: कैंसर पीड़ित हुए पिता तो कपड़ा व्यापारी ने शुरू की 'जहर मुक्त खेती', कमाई भी बेहतर
अजय राज मीणा, संवाद न्यूज एजेंसी, रेवाड़ी (हरियाणा)
Published by: भूपेंद्र सिंह
Updated Sun, 11 Dec 2022 10:02 PM IST
सार
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जैविक खेती कर यशपाल हर सीजन प्रति एकड़ एक से डेढ़ लाख रुपये कमा रहे है। लैब बनाकर किसानों व युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं। यशपाल को कई बार मिल पुरस्कार चुका है।
किसान यशपाल ने शुरू की जैविक खेती।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
हरियाणा के रेवाड़ी जिले के गांव कंवाली निवासी एक प्रगतिशील युवा किसान 40 एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर हर सीजन एक से डेढ़ लाख रुपये प्रति एकड़ कमा रहे हैं। इसके साथ ही खेत में ही लैब बनाकर किसानों व युवाओं को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। ताकि आधुनिक खेती के तरीके सीख कर युवा वर्ग भी कमाई कर सके।
किसान यशपाल खोला ने बताया कि रासायनिक खेती करने से खर्चा कम आता है और मिट्टी भी उपजाऊ बनी रहती है। उनका मकसद जैविक खेती कर जिले को विभिन्न कैंसर जैसी घातक बीमारियों से मुक्त करना है। उन्होंने बताया कि पहले वह कपड़ों की दुकान चलाते थे, लेकिन पिता कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे। तभी उनको आइडिया आया कि जैविक खेती कर कैंसर से इस समाज व जिले को मुक्त कराया जा सकता है।
उन्होंने 2016 से जैविक खेती में सरसों, गेहूं तथा बाजरा जैसी फसलों के अलावा अनेक किस्म की सब्जियां व फल उगाने लगे। जिनमें गोभी, घीया आलू, टमाटर, भिंडी. तौरी, बैंगन, ब्रोकली, पालक, गाजर, खरबूजा, तरबूज, सकरकंदी व अन्य करीब 30 किस्म की खेती शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि आर्ट से स्नातक व चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय हिसार से केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स कोर्स करने के बाद यह जैविक खेती का काम शुरू कर दिया था। कोविड-19 के दौर में लगातार लोगों की इम्यूनिटी पावर गिर रही थी, जिसका मूल कारण था फल व सब्जियों में रासायनिक खाद डालना। इस वजह से उनके जैविक खेती करने के सपने को और अधिक बल मिला।
प्रति एकड़ 25-30 हजार खर्च
उन्होंने बताया कि सीजन में प्रति एकड़ 25 से 30 हजार का खर्चा आता है। इसमें जैविक खाद व लेबर खर्च शामिल हैं। इसके अलावा मार्केट के लिए पैकेजिंग, वाहन, होम डिलिवरी का चार्ज आता है। एक सीजन का कुल खर्च प्रति एकड़ 40 से 45 हजार तक पहुंच जाता है। इनकम सीजन पर निर्भर है। कई बार पाला पड़ने व मौसम खराब होने की वजह से फसल भी प्रभावित हो जाती है, जिसके कारण नुकसान भी उठाना पड़ता है। वहीं अगर सब कुछ सही रहा तो प्रति एकड़ एक से डेढ़ लाख तक की कमाई भी हो जाती है। उन्होंने बताया कि वो मिश्रित खेती करते हैं। एक फसल में नुकसान हो तो दूसरी फसल से आय बनी रहे। ताकि आर्थिक संकट पैदा न हो।
कहां-कहां की जाती है सब्जी व फलों की सप्लाई
उनके फार्म से धारूहेड़ा, गुरुग्राम, दिल्ली, रेवाड़ी, भिवाड़ी तक फल व सब्जियां सप्लाई की जाती हैं। इनकी होम डिलिवरी भी की जाती है। इसके अलावा कुछ बड़ी निजी कंपनी को भी फल व सब्जियां बेची जाती हैं। वहीं काफी लोग फार्म हाउस में भी खरीदने आते हैं।
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कई पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं यशपाल
यशपाल खोला को सब्जी एक्सपो 2020 में गाजर की खेती में हरियाणा में पहला स्थान पाने पर कृषि मंत्री व इजराइल के कृषि विशेषज्ञों द्वारा सम्मानित किया गया था। शताब्दी सीड्स कंपनी ने उन्हें अपना प्रचारक बनाया, वहीं किसान दिवस पर प्रगतिशील किसान अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें जिले का जैविक खेती का प्रशासनिक ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। उन्होंने बताया कि उनकी सफलता में राव संजय (डायरेक्ट दां बाग) का अहम योगदान है। उनकी भी जैविक खेती का प्रचार-प्रसार करने में अहम भूमिका है।
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