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हिसारः डॉ. आरएस हुड्डा बोले- फालतू पौधों को निकालकर खाली स्थानों में लगाएं, ऐसे करें बाजरा की बिजाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हिसार Published by: खुशबू गोयल Updated Wed, 14 Aug 2019 02:09 PM IST
Agriculture, Farming tips by Haryana Agriculture University Professor RS Hooda
प्रतीकात्मक तस्वीर
बाजरा की बिजाई के लगभग तीन सप्ताह बाद किसी वर्षा वाले दिन कतारों से फालतू पौधे निकाल कर खाली स्थानों में लगाएं, ताकि पौधे से पौधे का फासला लगभग 12 सेंटीमीटर रहे। इसी समय निराई गुड़ाई करें, ताकि खेत में खरपतवार न रहे। यदि किसी कारणवश बाजरे की बिजाई न हो पाई हो तो इसकी पौध रोपाई तीन हफ्ते पुरानी पौध से मध्य अगस्त तक किसी वर्षा वाले दिन, 45 सेंटीमीटर के अंतर पर कतारों में करें और पौधे से पौधे का फासला 12 सेंटीमीटर रखें।


संकर बाजरे की सिंचित फसल में नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा, लगभग 45 किलोग्राम यूरिया, जब गोभ में सिट्टा आए जाए, डालें। यदि खाद डालते समय खेत में पर्याप्त नमी न हो और वर्षा भी न हो रही तो तो फसल में पानी लगा दें। बाजरे की बारानी फसल में अगर किसी कारणवश यूरिया खाद बिजाई के समय न डाल सके हों तो लगभग 35 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ खड़ी फसल में तभी डालें जब वर्षा हो जाए या होने की संभावना हो। यदि बाजरे की फसल में जस्ते की कमी के लक्षण दिखाई दें तो 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का छिड़काव करें।


एक एकड़ के लिए एक किलोग्राम जिंक सल्फेट (21 प्रतिशत), छह किलोग्राम यूरिया व 200 लीटर पानी का इस्तेमाल करें। 10 -12 दिन के अंतर पर कम से कम 2-3 छिड़काव करें।

कोढ़िया या डाऊनी मिल्ड्यू रोग से प्रभावित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें। ऐसे पौधे रंग में पीले, कद में बौने होते हैं और पत्तियों की निचली और दोनों सतहों पर सफेद रंग का पाउडर सा छाया रहता है। ध्यान रहे कि रोगी पौधों को उखाड़ने का काम बिजाई के तीन या चार सप्ताह के अंदर पूरा कर लें।

जब पत्तों से बालें बाहर आने लगें तो बालों पर चेपा रोग की रोकथाम के लिए क्यूमान एल (400 मिलीलीटर प्रति एकड़) का 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। चेपाग्रस्त बालों के दिखाई देते ही उन्हें खेत से निकालकर नष्ट कर दें। खरपतवार की रोकथाम के तुरंत बाद यदि रसायन का छिड़काव न किया हो तो 7 से 15 दिन के अंदर 400 ग्राम एट्राजिन 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

यदि बालों वाली सुंडी का आक्रमण हो तो पत्तों पर अंडों के जो समूह होते हैं, उन पत्तों को अंडों सहित तोड़कर नष्ट कर दें। बड़ी सुंडियों को मारने के लिए 500 मिलीलीटर क्विनलफॉम 25 ईसी या 200 मिलीलीटर डाइक्लोरवास 76 ईसी 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़कें।

परिचय
डॉ. आरएस हुड्डा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में विस्तार शिक्षा निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।
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