लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Meerut News ›   Agriculture: Director Brijesh Singh said - Research is being done on the disease in potato crop

Agriculture: निदेशक बृजेश सिंह बोले- आलू की फसल में लगने वाले रोग को लेकर हो रहा शोध

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मेरठ Published by: Dimple Sirohi Updated Wed, 15 Feb 2023 02:38 PM IST
सार

मेरठ के मोदीपुरम स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान में आलू दिवस के दौरान शामिल हुए शिमला के निदेशक बृजेश सिंह ने कहा कि आलू में लगने वाली बीमारियों को लेकर शोध किया जा रहा है

Agriculture: Director Brijesh Singh said - Research is being done on the disease in potato crop
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के निदेशक बृजेश सिंह - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम में बुधवार को आलू दिवस मनाया गया। आलू में लगने वाली बीमारियों को लेकर शोध किया जा रहा है। ताकि, वक्त रहते किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। आलू की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है। एक्सपोर्ट होने से अब किसानों को नुकसान नहीं उठाना पड़ता। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के निदेशक बृजेश सिंह ने पत्रकार वार्ता के दौरान यह बात कही। 



उन्होंने बताया कि आलू की फसल का सीजन है। इसलिए, इस समय पर आलू दिवस मनाया जाता है। साथ ही किसानों को बुलाया जाता है। ताकि, वह आलू की नई प्रजाति व आलू पर हो रहे नए शोध के बारे में जान सके।


यह भी पढ़ें:Murder: घर दावत दी, फिर तीन युवकों को दी खौफनाक मौत, छात्रा की मोहब्बत में इजलाल ने किया था तिहरा हत्याकांड 

पत्रकार वार्ता में बोलते हुए कहा कि पहले लेट लाइट बीमारी से आलू की फसल को बहुत नुकसान होता था, इससे उत्पादन कम होने के साथ किसान को भी नुकसान होता था लेकिन अब वैज्ञानिक 10 दिन पहले ही लेट लाइट बीमारी के बारे में जान जाते हैं। इससे किसानों को नुकसान नहीं होता। अन्य बीमारियों का भी वक्त से पहले ही पता लगाने के लिए वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।

बताया कि अब से पहले 30 मैट्रिक टन आलू का उत्पादन होता था और बाजार में दाम अच्छे ना मिलने से किसान को घाटा होता था। अब, 50 मैट्रिक टन उत्पादन हो रहा है। उत्पादन बढ़ने के बाद भी किसान को अच्छे दाम मिल रहे। यह सब आलू के एक्सपोर्ट होने से संभव हो सका।

कहा कि देश में पानी घटता जा रहा है। ऐसे में ऐसी प्रजाति इजाद करने की जरूरत है जिनमें पानी की आवश्यकता कम हो। इसके लिए भी शोध हो रहे हैं। आज, अलग अलग आलू की प्रजाति है। 
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Election

फॉन्ट साइज चुनने की सुविधा केवल
एप पर उपलब्ध है

बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
एप में पढ़ें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed