रामपुर। गुड.. वेरी गुड..वेरी नाइस। कुछ इसी तरह के बोल पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम के मुंह से उस समय निकल पड़े जब बच्चों ने झांकियों के जरिए उनके जीवन की झलक दिखाई। बच्चों की प्रदर्शनी में कलाम कुछ देर के लिए भावुक भी हो गए। यहां तक कहा कि बच्चों ने उनके संघर्षपूर्ण जीवन की गाथा लिख डाली।
मौका था दयावती मोदी अकादमी में पूर्व राष्ट्रपति के आगमन के मौके पर स्कूली बच्चों की ओर से उनके जीवन पर आधारित प्रदर्शनी का। पूर्व राष्ट्रपति जब स्कूल पहुंचे तो सबसे पहले उन्होंने इस प्रदर्शनी को देखा। प्रदर्शनी में दस स्टाल लगाए गए थे। हर स्टाल में पूर्व राष्ट्रपति की यादें ताजा हो उठीं। बच्चों ने प्रदर्शनी के जरिए कलाम के संघर्षपूर्ण बचपन की घटनाओं का सजीव चित्रण झांकियों के जरिए किया। प्रदर्शनी में बच्चों ने दिखाया कि किस तरह अखबार बेचकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। तमिलनाडु में जन्में डा. कलाम ने किस तरह लैंप की रोशनी में पढ़ाई की। बच्चों ने संघर्षपूर्ण विद्यार्थी के जीवन से वैज्ञानिक बनने और फिर उसके बाद राष्ट्रपति पद तक की कुर्सी पर विराजमान होने तक का सजीव चित्रण पेश किया। खुद को बच्चे से लेकर बड़े होने का सफर बच्चों द्वारा कुछ इस तरह प्रस्तुत किया गया कि कलाम खुद को रोक नहीं पाए। टीम लीडर के रूप में चौथी कक्षा की यशी, यश जोशी, हर्षिता खुराना, आदिति अरोड़ा, अविरल कपूर ने झांकियों के माध्यम से कलाम को विस्तार से बताया। बच्चों ने बताया कि यह आपके जीवन का चित्रण है। इसे बच्चों ने अपने अंदाज में पेश करने की कोशिश की। नन्हे मुन्ने बच्चों के इस अंदाज पर कलाम काफी खुश हुए। उनके मुंह से गुड..वेरी गुड और वेरी नाइस जैसे शब्द निकले। बाद में बच्चों के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद भी दिया,जिसे पाकर बच्चे भी खुशी से झूम उठे।