ज्ञानपुर। सात साल पहले ज्ञानपुर थाने के बड़वापुर नहर के समीप हुई फर्जी मुठभेड़ के आरोपी सभी 28 पुलिसकर्मियों को सीबीसीआईडी ने दोषमुक्त करार देते हुए मामले में फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगा दी है। मुठभेड़ में मारे गए बदमाश ललऊ की पत्नी पिंकी की गुहार के बाद मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी। बहरहाल मामला अब कोर्ट में है, जिसकी अगली तारीख चार जून मुकर्रर की गई है।
पुलिस के मुताबिक 29 मार्च 2005 को दिन में करीब सवा एक बजे बड़वापुर नहर की दक्षिणी पटरी पर घेरेबंदी कर पुलिस ने ललऊ उर्फ बुद्धसेन नाम के कथित बदमाश को इनकाउंटर में मार गिराया था। 12.50 बजे पुलिस को वायरलेस के जरिये सूचना मिली कि दो बदमाश मोटरसाइकिल लूटकर उगापुर से औराई की तरफ भाग रहे हैं। इसी सूचना पर औराई, ऊंज, गोपीगंज और ज्ञानपुर की पुलिस ने नाकेबंदी कर बदमाश को मार गिराया था। मौके से लूट की बाइक और असलहा भी बरामद हुआ था। लेकिन, पुलिस की बहादुरी की इस कहानी में तब नया मोड़ आ गया, जब बदमाश की पत्नी पिंकी ने पुलिस के उच्चाधिकारियों को पत्र देकर आरोप लगाया कि उसके पति और भाई को इलाहाबाद के अल्लापुर स्थित उसके आवास से कुछ पुलिस वालों ने रात में जबर्दस्ती उठा लिया और दूसरे दिन उसके पति को मुठभेड़ में मरा दिखाया गया। पिंकी के इस प्रार्थना पत्र पर कोई सुनवाई नहीं हुई। उसने यह शिकायती पत्र मानवाधिकार आयोग को भी भेजा। मानवाधिकार आयोग ने मामले पर संजीदगी दिखाई और आयोग के निर्देश पर अपराध शाखा लखनऊ (सीबीसीआईडी) ने पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे 102/05 धारा 307/411 की विवेचना की। इसमें तथाकथित मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए ज्ञानपुर थाने में 28 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। ज्ञानपुर थाने में आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या समेत कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद मामला विवेचक के असीमित अधिकार क्षेत्र में चला गया। विवेचक ने एक-एक कर गवाहों के शपथ पत्र लेना शुरू किया। जिन गवाहों को सीबीसीआईडी ने पहले मृतक की पत्नी के समर्थन में दिखाया था, उन गवाहों ने एक-एक कर शपथपत्र के माध्यम से पुलिस की मुठभेड़ वाली कहानी पर मुहर लगा दी। इस दौरान विवेचक ने बड़वापुर गांव से पांच प्रत्यक्षदर्शियों का भी बयान दर्ज कर लिया। इन सभी ने पुलिस की मुठभेड़ को सही बताया। इस पर आरोपी पुलिसकर्मियों का बयान अंकित करने के बाद विवेचक ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में फाइनल रिपोर्ट प्रेषित कर दी। इसमें 28 पुलिसकर्मियों को निर्दोष बताते हुए एफआर को स्वीकृत करने की प्रार्थना की गई है।