ज्ञानपुर। प्रदेश सरकार की ओर से चुनावी घोषणा पत्र में किए गए ऋणमाफी के वादे के चलते सहकारिता विभाग के द्वारा बांटे गए ऋण की वसूली काफी प्रभावित हो रही है। किसानों के द्वारा खाद और बीज पर जो ऋण विभाग से लिया गया है, उसकी वसूली नहीं हो पा रही है। इसके चलते विभागीय अधिकारी काफी चिंतित हैं। अधिकारियों की मानें तो यदि ऋणमाफी की भी जाएगी तो वह 2010 के पहले ही लिए गए ऋण पर लागू होगी। इसके बाद लिए गए ऋण को किसानों को हर हाल में चुकाना ही पड़ेगा।
जिला सहकारिता विभाग के द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में खरीफ की फसल पर चार करोड़ 93 लाख रुपये और चालू वित्तीय वर्ष में रबी की फसल पर तीन लाख 61 हजार रुपये का ऋण वितरित किया गया है। ऋण की अदायगी करने पर ही किसानों को आगे ऋण दिया जाएगा लेकिन किसान ऋण की अदायगी नहीं कर रहे हैं। किसानों को भ्रम है कि सरकार ने ऋण माफी का जो वादा है वह लागू होने पर उनका सारा ऋण एक साथ माफ हो जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि इस मुगालते में रहने पर किसानों को ऋण पर काफी अधिक ब्याज देना पड़ जाएगा, जिससे उनकी परेशानी काफी बढ़ जाएगी। क्योंकि समय से ऋण जमा करने पर किसानों को नियमानुसार सिर्फ तीन प्रतिशत ही ब्याज देना पड़ेगा, लेकिन यदि वह समय से ऋण नहीं जमा करेंगे तो दस प्रतिशत कलेक्शन चार्ज सहित कुल 22 प्रतिशत अधिक वसूली किसानों से की जाएगी। न जमा करने पर आरसी जारी होगी और वह डिफाल्टर भी घोषित किए जा सकते हैं। जिला सहायक निबंधक सहकारी समितियां आरबी प्रजापति ने बताया कि यदि सरकार ऋण को माफ भी करती है तो वह 2010 के पहले लिए गए कर्ज पर ही लागू होगा। 2010 के पहले जिले के करीब तीन हजार से अधिक किसानों पर पांच करोड़ 61 लाख रुपये का बकाया चल रहा है। जिसकी वसूली अभी तक नहीं की जा सकी है। कहा कि समय से ऋण न जमा करने वालों को काफी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।