भदोही। हजरत मीरा शाह रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स मंगलवार की शाम अकीदत से मनाया गया। मजार पर दिन में जहां दूर से आए अकीदतमंदों की भीड़ रही तो शाम को स्थानीय लोगों ने भी मजार की जियारत कर चादरपोशी की। सुबह कुरआन ख्वानी के साथ उर्स का आगाज हुआ और शाम को स्थानीय लोगों ने कव्वाली का लुत्फ उठाया। गागर में भारी संख्या में लोग शामिल हुए।
शहरी और आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में चकमीरा शाह बाबा का व्यापक नाम है। हर जुमेरात को तो लोग फातिहा पढ़ने आते ही हैं उर्स में हजारों लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इसमें मुकामी लोगों का खास योगदान होता है। सुबह कुरआन ख्वानी के बाद से ही जायरीनों का आना शुरू हो गया था। दिन भर फातिहा पढ़ने, चादर चढ़ाने के सिलसिला चलता रहा। शाम को मजार से गागर उठा जो कई मार्गों पर घूमने के बाद मजार पर पहुंचा। इसके बाद अकीदतमंद लोगों ने मजार का गुस्ल कराया और चादरपोशी की। मजार के लिए चादर मुंबई से मंगाया गया था। मजार पर मन्नते मांगने वालों में भारी संख्या हिंदू भी थे।
महफिले शमा कार्यक्रम देर रात तक चला जिसमें स्थानीय लोगों की संख्या अधिक रही। कमेटी द्वारा जायरीनों की सुविधा के लिए खान-पान सहित पेयजल का समुचित इंतजाम किया गया था। गुलाम साबिर, गुड्डू शाह, अख्तर राईन, शमशेर राईन, एखलाक राईन, वकील अहमद, बशीर खां जायरीनों की सेवा में लगे रहे।