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बदायूं। निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत अगले साल से सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के निजी स्कूलों में कक्षा एक की 25 प्रतिशत सीटें सरकार के लिए खाली छोड़नी पड़ेंगी। इन सीटों पर सरकार दुर्बल वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिलाएगी और उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएगी।
अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत कक्षा एक से आठ तक सभी बच्चों को प्रदेश के सरकारी और परिषदीय विद्यालयों में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा दिए जाने के लिए सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग को शासनादेश जारी कर दिए हैं। इस योजना के तहत सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों को कक्षा एक से कक्षा आठ तक 25 प्रतिशत सीटें सरकार के लिए रिक्त रखनी पड़ेगी। इन सीटों पर 14 वर्ष तक के अलाभित समूह और दुर्बल वर्ग के बालकों को प्रवेश दिलाया जाएगा। इन बच्चों की पढ़ाई, लिखाई, ड्रेस और फीस का खर्चा सरकार भरेगी। यह योजना अगले सत्र से अमल में लाई जाएगी। अगले सत्र में केवल कक्षा एक में 25 फीसदी गरीब बच्चों को प्रवेश दिलाया जाएगा।
सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश दिलाने के लिए शासनादेश आ गया है। इसको लागू कराने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। जल्द ही प्रवेश लेने वाले बच्चों की सूची जारी की जाएगी।
कृपा शंकर वर्मा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
स्कूल की फीस होगी निर्धारित
सभी स्कूलों की फीस अलग-अलग है लेकिन सरकार इन बच्चों को फीस देने के लिए एक निश्चित फीस तय करेगी। ऐसे में स्कूल मालिकों को अपने स्तर को बरकरार रखने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ेगी।
इन बच्चों का होगा प्रवेश
अलाभित समूह के तहत छह से 14 वर्ष के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग, एसआईवी अथवा कैंसर पीड़ित माता-पिता के बच्चे और निराश्रित बेघर बच्चों को प्रवेश दिलाया जाएगा। दुर्बल वर्ग के बालक के तहत गरीबी रेखा के नीचे के, विकलांगता, वृद्धावस्था, विधवा पेंशन पाने वाले माता पिता के बच्चों का प्रवेश दिलाया जाएगा। सीटें खाली होने पर एक लाख से कम वार्षिक आय के अभिभावकों के बच्चे को आरोही क्रम में प्रवेश दिलाया जाएगा।