बदायूं। लालपुल पुलिस चौकी के सामने शव रखकर मोहल्ले वालों ने जो हंगामा किया वो पुलिस प्रशासन के अफसरों को भी चौंका गया। गुस्साई भीड़ ने उनके सामने ही आरोपी के घर को कई मर्तबा निशाना बनाया।
चौकी के सामने शव रखकर भीड़ ने खासा गदर किया। महिलाओं ने कई समूह बना रखे थे और सड़क पर अलग-अलग जगह बैठ गईं। मजबूरी में पुलिस ने भी अवरोधक लगाकर वाहनों के लिए मार्ग बंद कर दिया। किसी बाइक सवार के निकलने पर भी महिलाएं खासा विरोध कर रही थी। पुरुषों का हूजूम अलग लगा था। कई बार भीड़ ने डीएम और एसपी को बुलाने की मांग की पर कोई अधिकारी नहीं आया। इसके बाद भीड़ और गुस्सा गई। अधिकारियों और फोर्स के सामने ही कई बार भीड़ ने आरोपी के मकान का दरवाजा तोड़ने का प्रयास किया। कई बार पत्थर फेंके तो कुछ लोग पिछले दरवाजे और दीवार कूदकर आरोपी के घर में घुसने लगे। इस पर जब आरोपी के घर की महिलाओं ने चीखपुकार की तो पुलिस बमुश्किल उन्हें बचाकर बाहर ला सकी।
इस बीच दोपहर बाद तक हाई वोल्टेज ड्रामा बदस्तूर चलता रहा। बीच में कई बार एडीएम संजय सिंह और एसपी सिटी पीयूष श्रीवास्तव ने परिजनों को समझाने का प्रयास किया पर वह माने नहीं।
जाम से पब्लिक हलकान, डायवर्जन से निकाला ट्रैफिक
बदायूं। दिल्ली और आगरा-मथुरा मार्ग का मेन रोड बंद होने की वजह से दूर तक वाहनों की कतारें लग गईं। इनमें रोडवेज बसों के साथ ही तमाम वीआईपी वाहन भी फंस गए। शहर में दूसरी ओर बारहवफात का जुलूस निकल रहा था। इसलिए पुलिस-प्रशासन की मुश्किलें और बढ़ गईं। इसलिए पुलिस ने इस दिशा में आने वाले मार्ग पर कई जगह बैरियर लगाकर ट्रैफिक रोक दिया। आवश्यक वाहनों को जिला पंचायत से शेखूपुर रोड और जालंधरी सराय से मीरासराय होकर गुजारा गया। देर तक जाम में फंसे लोग व्याकुल हो उठे। सुबह दस बजे से बंद रोड जब अपरान्ह तीन बजे खुला तो लोगों ने राहत की सांस ली।
कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है...
बदायूं। राजेंद्र की हत्या में रिपोर्ट भले ही पुरानी रंजिश को आधार बनाकर लिखवाई गई पर यह मामला सीधे तौर पर अवैध संबंधों की परिणति माना जा रहा है। मौके पर केवल इसी बात की चर्चा थी। अड़ोस-पड़ोस के लोग भी इसी तरह की बातें कर रहे थे। ऐसे में कानाफूसी और आरोपियों के बयान पुलिस को वर्कआउट में मददगार साबित हो सकते हैं।
यूं तो राजेंद्र शादीशुदा था। चार साल पहले बरेली के बलेई भगवंतपुर गांव निवासी रायसिंह की पुत्री ममता से उसकी शादी हुई थी। उसका दो साल का पुत्र अनुज भी है। राजेंद्र और उसके भाइयों की आसपास दुकानें हैं। मध्यमवर्गीय परिवार का युवक राजेंद्र काफी हंसमुख था। चर्चा है कि एक लड़की से उसके संबंध थे। इस बात की टीस फौजी के मन में थी। किसी न किसी बहाने से वह चौकी के सिपाहियों से राजेंद्र को धमकवाता रहता था। सूत्रों के मुताबिक करीब छह माह पहले फौजी की शह पर राजेंद्र को पीटा भी गया था। इसके बावजूद अंदरखाने शायद कुछ न कुछ चल रहा था। शायद यही वजह राजेंद्र की मौत का कारण बनी। फौजी रमेश की पड़ोसी कचरी फैक्ट्री स्वामी चंद्रपाल से दांत काटी यारी थी। शायद इसीलिए मृतक के परिजनों ने फौजी के साथ ही चंद्रपाल और उसके बेटों को नामजद कराया। उनका सीधा आरोप था कि कचरी फैक्ट्री में राजेंद्र की हत्या करके आरोपियों ने शव पीछे डाल दिया।
परिजनों के मुताबिक बुधवार को राजेंद्र के मोबाइल पर फौजी के परिवार के एक नंबर से काल आई और फिर वह बिना बताए चला गया। ऐसे में राजेंद्र के मोबाइल की काल डिटेल भी हत्यारों का राज खोलने में मददगार साबित होगी। मृतक के परिवार के कुछ लोग बता रहे थे कि राजेंद्र के वेल्डिंग के रुपये फौजी पर आ रहे थे जिन्हें वह देना नहीं चाहता था और शायद इसीलिए उसने राजेेंद्र की जान ले ली। इसके बावजूद मौके पर हो रही चर्चाएं और नृशंस तरीके से की गई हत्या को देखकर यही लग रहा था कि कुछ तो है जिसकी पर्दादारी की जा रही है। पकड़े गए फौजी या अन्य आरोपियों से पुलिस की पूछताछ से शायद इस सनसनीखेज वारदात का खुलासा हो जाए।
पुलिस गंभीर होती तो बच जाती जान
राजेंद्र की मौत को अपराध के प्रति पुलिस की आदतन लापरवाही से जोड़कर भी देखा जा रहा है। तमाम लोग तोहमत जड़ रहे थे कि पुलिस समय पर एक्शन लेती तो राजेंद्र की जान बच सकती थी।
राजेंद्र बुधवार की शाम ही गायब हो गया था। इसके बाद उसके ससुर रायसिंह और परिजन पुलिस के आला अफसरों से भी मिले थे। उन्होंने उसकी गुमशुदगी दर्ज करने की मांग की। आरोप है कि अफसरों ने इसे हवा में उड़ा दिया। उनका तर्क था कि पहले वह लोग खुद तलाश करें। सूत्रों की मानें तो बुधवार रात और शायद गुरुवार शाम तक राजेंद्र जिंदा और आरोपियों की गिरफ्त में था।
बसपा हाईकमान से शिकायत
बदायूं। बसपा के जिलाध्यक्ष डॉ. क्रांति कुमार ने मौके पर पहुंचकर पीड़ित पक्ष को दिलासा दी। उन्होंने जाम खुलवाने में पुलिस-प्रशासन की मदद की। दलित युवक की मौत पर रोष जताते हुए उन्होंने कहा कि सपा सरकार में जंगलराज जैसी स्थिति है। उन्होंने घटना से पार्टी हाईकमान को अवगत करा दिया है। चौकी के पीछे दलित युवक की हत्या कानून व्यवस्था पर सवाल है।
गला दबाकर मारा गया राजेंद्र को
हंगामे के बाद राजेंद्र का शव पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा। यहां फोर्स के भारी बंदोबस्त के बीच डा.संजय सक्सेना ने उसके शव का पोस्टमार्टम किया। इसमें गला दबाकर हत्या करने की पुष्टि हुई। चूंकि शव काफी जल चुका था इसलिए मौत का सही समय डाक्टर नहीं जान सके। फोर्स की मौजूदगी में ही राजेंद्र की अंत्येष्टि कर दी गई।
चर्चित रही है लालपुल चौकी
शहर की लालपुल चौकी लंबे समय से चर्चा का केंद्र रही है। बीते वर्ष मई माह के अंत में इस चौकी में बड़े सरकार दरगाह पर आई एक जायरीन किशोरी के साथ बलात्कार की घटना हुई थी। कई साल पहले नई सराय में किराएदार के हाथों मकानमालिक की हत्या के मामले में भी इसी चौकी के आगे हंगामा हुआ था। तब तत्कालीन एसएसपी मुकेश बाबू शुक्ला भीड़ के गुस्से का शिकार हुए थे। भीड़ ने उनकी वर्दी तक फाड़ दी थी।
प्रभारी विहीन है चौकी
सदर कोतवाली की चार अन्य चौकियों की तरह लालपुल चौकी भी प्रभारी विहीन है। यहां तैनात प्रभारी केपी चौधरी का पिछले दिनों अलीगढ़ तबादला हो गया। इसके बाद से चौकी पर प्रभारी नियुक्त नहीं हो सका है। राजनीति का अखाड़ा बनी सदर कोतवाली में बाहर से दरोगा आना नहीं चाहते। इसी वजह से कोतवाली की सात में से चार चौकियां खाली पड़ी हैं। पिछले दिनों यहां अन्य थानों से चार दरोगा ट्रांसफर किए गए थे। इनमें से केवल एक न ही चार्ज ग्रहण किया और बाकी एसआईएस आदि प्रकोष्ठ में ट्रांसफर करा ले गए। सदर कोतवाल भी लंबे समय से छुट्टी पर हैं। एसएसआई विनोद कुमार उनका चार्ज देख रहे हैं।