बदायूं। संत आसाराम बापू ने कहा कि हजारों जन्मों के पाप नष्ट करने के लिए मनुष्य को सत्संग का सहारा लेना चाहिए। दुख के क्षणों में परेशान होने की जगह परमपिता परमेश्वर का स्मरण करना चाहिए। इसी से समस्त दुखों का निवारण होता है।
बापू शुक्रवार को शहर केगांधीपार्क में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परमात्मा की प्राप्ति के लिए यह जरूरी नहीं कि पूजा-अर्चना की जाए, बल्कि सच्चे मन से प्रभु का स्मरण करने से भगवान की प्राप्ति होती है। कहा कि भगवान की तलाश में लोग यहां-वहां भटकते हैं लेकिन सत्य तो यह है कि परमात्मा मनुष्य के भीतर हैं। जरूरत है तो केवल उन्हें पाने की ललक होने की।
कहा कि मनुष्य के सभी कष्ट हरि का नाम लेने मात्र से दूर हो जाते हैं। दुख और सुख आते-जाते रहते हैं। दुख इसलिए आता है कि मनुष्य प्रभु की आराधना करे, सुख आने पर मनुष्य का परमपिता की ओर भरोसा बढ़े और धर्म की स्थापना हो। इस दौरान बापू ने मीरा का प्रेम और शबरी का त्याग जैसे कई प्रसंग सुनाकर भक्तों को भगवान की ओर आकर्षित किया। कहा कि अहंकार रूपी अंधेरे में मनुष्य भूल जाता है कि सृष्टि का संचालक उसे देख रहा है और वह अधर्म के मार्ग पर चलने लगता है। ऐसे मनुष्यों के अहंकार को मिटाने के लिए प्रभु ने सत्संग बनाया है। सत्संग से मनुष्य के मन में ज्ञान रूपी प्रकाश आता है और वह सद्मार्ग पर चलकर धर्म की स्थापना करता है।
ट्रेन पर सवार होकर बांटी टाफियां
प्रवचन की गंगा बहाने केबाद बापू ने अपने अनुयाइयों को ट्रेन पर सवार होकर टाफियां बांटीं। पंडाल में बापू की ट्रेन चल रही थी और अनुयायी आशीर्वाद स्वरूप उनकी टाफियां पाने को लालायित थे। इस दौरान वहां धक्का-मुक्की का माहौल भी बन गया।
बापू को थिरकता देख भक्त भी थिरके
बापू ने मंच पर पहुंचकर धार्मिक गीतों की धुन पर थिरकना शुरू किया तो वहां मौजूद सैकड़ों अनुयायी थिरकने लगे। अनुयाइयों का उत्साह बढ़ाने और भक्ति के सागर में गोते लगाने के लिए बापू ने फूलों की बारिश भी की। वहीं अनुयाइयों ने भी तिलक करके उनका आशीवार्द लिया।
बुलेटप्रूफ शीशे से किया प्रवचन
बापू ने अनुयाइयों को धर्म के मार्ग पर अग्रसर करने का प्रवचन बुलेट प्रूफ शीशे के पीछे से दिया। ऐसे में अनुयायी उनके दर्शन करने के साथ प्रवचन भी सुनते रहे। बापू का मंच भी एअरकंडीशन था।
पुस्तक मेला भी लगा
कार्यक्रम के दौरान वहां बापू के आध्यात्मिक पुस्तकों मेला भी लगाया गया। पुस्तकों में भगवान और भक्त के बीच की दूरी मिटाने को सुझाव और लोगों को धर्म के पथ पर चलने को प्रेरित किया गया है। अनुयाइयों ने पुस्तकों की खरीददारी की।
मेले जैसा रहा पार्क का माहौल
प्रवचन के दौरान गांधीपार्क का माहौल मेले के मानिंद दिखा। पार्क में किताबों, प्रवचन की सीडी और मेवा आदि की दुकानें लगी थीं। इसके अलावा आयुर्वेदिक दवाओं की दुकानें भी लगीं।