बदायूं। डार्क ब्लाक में तीन सौ कनेक्शन देने के मामले का पर्दाफाश होते ही बिजली महकमे के अफसरों में अफरातफरी मच गई। दिनभर अधिकारी-कर्मचारी पुराना रिकार्ड खंगालते रहे। बताया जाता है कि कुछ रिकार्ड तो गायब भी है। इस मामले की एक्सईएन ने जांच शुरु कर दी है।
विदित हो कि वर्ष 2006 से मार्च 2012 तक 12 ब्लाक डार्क श्रेणी में थे। नियमत: इन ब्लाकों में बिजली कनेक्शन नहीं दिए जाने थे, लेकिन महकमे के तत्कालीन अधिशासी अभियंताओं ने खेल कर कनेक्शन दे दिए। आरोप है कि इसमें करोड़ों का घपला हुआ है। इस मामले का पर्दाफाश जब अमर उजाला ने किया तो अफसरों में अफरातफरी मच गई। शनिवार को तमाम पुराने अभिलेख खोजे गए। सूत्र बताते हैं कि कुछ का तो पता ही नहीं लगा। यह भी बात सामने आई है कि बिजली के लिए तार, ट्रांसफार्मर आदि पर खर्च अधिक हुआ था, लेकिन कम दिखाया गया है। स्टोर से अधिक माल निकला, जबकि रकम कम जमा हुई।
नवागत एक्सईएन आरसी गुप्ता का कहना है कि मामला गंभीर है। डार्क जोन में कनेक्शन नहीं दिए जा सकते हैं। इस मामले की जांच शुरु करा दी है।
डार्क जोन में बनी नई बोरिंग
जिन डार्क ब्लाकों में कनेक्शन दिए गए हैं उनमें नई बोरिंग बनाई गई थी, जबकि नए स्तर से यह प्रतिबंधित था। सिंचाई विभाग ने इनको सर्टिफिकेट जारी कर दिए, जबकि उसका उपयोग किसान नहीं कर सकते थे, क्योंकि ब्लाक डार्क थे। जानकार कहते हैं कि सर्टिफिकेट की तभी जरुरत पड़ती है जब बिजली कनेक्शन लेना हो। लोगों का कहना है कि जब कनेक्शन दिए ही नहीं जाने थे तो सर्टिफिकेट क्यों जारी किए गए। लघु सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता जीआर सिंह का कहना है कि विभाग सर्टिफिकेट कभी भी जारी कर सकता है।
कनेक्शन के नाम पर हो रही वसूली
दबतोरी। ब्लाक आसफपुर के मुसिया नगला, दबतोरी, परसिया आदि गांवों में नलकूप कनेक्शन के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। लोगों का कहना है कि पात्रों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। दलाल इसके लिए मोटी रकम वसूल रहे हैं। वह हर दिन गांवों में चक्कर लगा रहे हैं। ग्रामीणों ने मामले की जांच की मांग की है।