अनूप गुप्ता
बदायूं। पशु चिकित्सा विभाग का टीकाकरण कार्यक्रम सिर्फ कागजी कोरम को पूरा कर रहा है। विभाग के अफसर टीकाकरण को आंकड़ेबाजी के जरिए पूरा कर रहे हैं, जबकि हकीकत में पशुपालकों को निजी अस्पतालों में पहुंचकर मवेशियों के टीके लगवाने पड़े रहे हैं। सरकारी महकमा कहता है कि बहुत से पशुपालक टीकाकरण से मना करते हैं। जबकि ऐसे तमाम लोगों का कहना है कि कौन चाहेगा कि उसका कीमती पशु बीमारी से मर जाए। जिले के विभिन्न इलाकों में गलघोंटू, खुरपका-मुंहपका समेत कई बीमारियों से प्रभावित पशु आए दिन दम तोड़ते आ रहे हैं।
जिले में हैं साढ़े 11 लाख मवेशी
जिले में पशुओं की संख्या वर्ष 2002 की गणना के अनुसार साढ़े नौ लाख थी जबकि इधर इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई है। हालांकि अभी नई गणना तो नहीं हुई पर एक अनुमान है कि यहां पशुपालकों के पास 11 लाख से ज्यादा मवेशी हैं। पशुओं की संख्या जिस हिसाब से बढ़ी है, पशुपालकों को उतनी सुविधाएं नहीं मुहैय्या हो पा रही हैं।
दो साल में हजारों पशुओं की हुई मौत
वर्ष 2010-11 में हजारों पशुओं की मौत गलघोंटू रोग से हुई। उसहैत, जुनावई, बिसौली, आसफपुर, बिनावर क्षेत्र में पशु अधिक मरे। बिसौली में तो एक साथ करीब 15 भैंसे मरी थी। उसहैत का भी यही हाल था। विभाग की टीम गई भी थी, लेकिन उन्होंने अज्ञात बीमारी से पशुओं का मरना दर्शाया था।
अभी नहीं शुरू हुआ पशुओं का टीकाकरण
मवेशियों में खुरपका, मुंहपका व गलाघोंटू बीमारियां जून-जुलाई में फैलने लगती है। बरसात से पहले ही टीकाकरण हो जाना चाहिए। टीकाकरण का काम अब तक शुरू हो जाना चाहिए था लेकिन जिले में अभी तक पशु चिकित्सा विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
टीके नहीं लगने पर मरते हैं पशु
गांव उघैती के पशुपालक मुनेंदर पाल सिंह का कहना है कि पशुपालन विभाग की टीम उनके गांव में टीके लगाने दो साल से नहीं पहुंची। उन्होंने इंतजार भी किया। यही गांव के लौमस द्विवेदी ने बताया कि टीकाकरण न होने से एक भैंस व एक गाय की मौत हो चुकी है। गांव महानगर के शिशुपाल सिंह खुरपका-मुंहपका के टीके पशुओं को नहीं लगाए गए। उनका आरोप है कि टीके प्राइवेट पशु चिकित्सकों को दे दिए जाते हैं। विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा।
10 लाख से ज्यादा मिली वैक्सीन
पशुओं के मुंहपका और खुरपका टीकाकरण से लिए 10 लाख 11 हजार वैक्सीन मिली हैं। हालांकि बाद में गुन्नौर तहसील में टीकाकरण मुदाराबाद जिले के जिम्मे सौंप दिया गया, जिसके साथ यहां का लक्ष्य कम कर आठ लाख 55 हजार कर दिया गया है। अब बाकी वैक्सीनों के लिए विभाग ने शासन से दिशा-निर्देश मांगे हैं।
28 मई से टीकाकरण होना है। लक्ष्य के सापेक्ष सौ फीसदी टीकाकरण कराया जाता है। इतना जरूर है स्टाफ की कमी से टीम बनाने और टीकाकरण के काम में थोड़ी दिक्कत जरूर होती है।
डॉ कमल सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी