बदायूं। बरसात में एक बार फिर जिले में बाढ़ का मंजर देखने को तैयार रहें। बाढ़ खंड ने कई खास प्रस्ताव भले ही करोड़ों बना लिए हों और टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो, मगर इनके लिए शासन से अभी तक फूटी कौड़ी भी जारी नहीं की गई है, जबकि बरसात का समय आने वाला है। अमूमन एक कार्ययोजना का पूरा करने में तीन से चार माह का वक्त तो लग ही जाता है। जबकि बाढ़ बचाव के कार्य बजट न होने से पूरी तरह ठंडे पड़े हैं।
बाढ़ हर साल ही जिले के हजारों-लाखों बाशिंदों पर कहर बनकर टूटती है। रामगंगा और गंगा से सटे गांवों की तबाही देखकर कोई भी सिहर उठ सकता है। बाढ़ खंड ने इस बार बाढ़ से बचाव के लिए करोड़ों की कार्ययोजनाएं तैयार कीं और उनके लिए बकायदा टेंडर प्रक्रिया भी पूरी की जा चुकी है। आम तौर पर हर साल अप्रैल में बाढ़ बचाव के लिए महकमा का धन जारी हो जाता है। इस बार अभी तक बाढ़ खंड की खास कार्ययोजनाओं के लिए सरकार ने एक धेला भी जारी नहीं किया है। बाढ़ खंड के अफसरों का कहना है कि एक कार्ययोजना को पूरा करने में तीन से चार माह तक का वक्त लग ही जाता है। जबकि इस बार अभी बाढ़ बचाव के कार्य बजट न मिलने से नहीं शुरू हो पा रहे हैं। धन कब तक जारी होगा, अभी यह भी साफ नहीं है। ऐसा ही रहा तो बरसात से पहले बाढ़ बचाव कार्य पूरे नहीं हो सकेंगे।
बजट न मिलने से नहीं शुरू है ये कार्य
-बदायूं-शाहजहांपुर जिले की सीमा पर दातागंज ब्लाक के पथरामई में उसहैत तटबंध पिछले साल बरसात में गंगा के कटान से काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। बाढ़ खंड ने इसकी मरम्मत के लिए नौ करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है और 19 अप्रैल को टेंडर प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।
-कादरचौक में जोरीनगला के पास पिछले साल गंगा जबरदस्त कटान करते हुए बांध के काफी नजदीक आ गई थी। यहां मनरेगा से काम कराया लेकिन वह नाकाफी है। यहां ठोकरें बनाने के लिए साढ़े चार करोड़ की कार्ययोजना बनी, जिसका 10 मई को टेंडर भी हो गया है।
-उसावां ब्लाक में गंगा कटान को रोकने के लिए सालभर पहले पत्थर की ठोकरें बनाने के लिए एक करोड़ 32 लाख का प्रस्ताव नाबार्ड से मंजूर हो चुका है।
-उसावां में गंगानदी के किनारे कटरा से खजुरा के बीच करीब डेढ़ किलोमीटर तक सात करोड़ की लागत से सात ठोकरें बननी हैं। बाढ़ खंड ने दस मई को टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है॥
-दातागंज तहसील के भाऊनगला में पिछले साल रामगंगा ने जबरदस्त कटान किया था। गांव की काफी जमीन नदी में समां चुकी है। कटान से बचाव के लिए सात करोड़ से दस ठोकरें बनाने की प्रस्ताव तैयार हुआ। इसका टेंडर दस मई को हो चुका है।
शासन से बजट मिलने का इंतजार किया जा रहा है। बजट की कमी से प्रस्तावित कार्यों पर अभी काम नहीं शुरू हो सका है। देरी से आगे बरसात में काफी दिक्कत होगी।
डीके जैन, अधिशासी अभियंता, बाढ़ खंड