बदायूं। अब सरकारी अस्पतालों में भी गरीबों का इलाज बंद हो गया है। इसका प्रमुख कारण बनाए गए स्मार्ट कार्ड की अप्रैल माह में मियाद का पूरा होना है। नियमत: मई माह में स्मार्ट कार्ड बनाने का कार्य पूरा होना था, लेकिन नई कंपनी यह कार्य जून माह में शुरु करेगी। इस तरह इन दो माह में गरीबों को मुफ्त इलाज नहीं मिल सकेगा।
विदित हो कि वर्ष 2010 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारंभ हुआ था। इस योजना के तहत बीपीएल कार्ड धारकों को 30 हजार रुपये तक का मुफ्त इलाज दिए जाने की योजना है। इस रकम से लाभार्थी प्राइवेट अस्पताल में भी अपना इलाज करा सकते हैं। जिले के दस प्राइवेट अस्पतालों का चयन किया गया था, लेकिन इनमें से अधिकांश ने मार्च माह में इलाज देना बंद कर दिया था। कारण था कि अस्पताल प्रशासन को खर्च रकम नहीं दी गई थी। पिछले साल लगभग 1100 मरीजों को योजना का लाभ मिल पाया। जबकि कार्ड धारकों की संख्या लगभग 60 हजार थी। इस बार स्मार्ट कार्ड बनाने का जिम्मा आईसीआईसीआई लोंबार्र्ड को मिला है। यह जून माह में शिविर लगाकर कार्ड बनाएगी।
अब सरकारी अस्पतालों में इन्हें इलाज नहीं मिल रहा। गंभीर बीमारियों में लाभार्थी स्मार्ट कार्ड के माध्यम से अपना इलाज कराते थे, लेकिन अब उन्हें रकम कर्ज पर लेकर इलाज कराना पड़ रहा है। हर दिन जिला अस्पताल में पांच-दस मरीज ऐसे आते हैं, लेकिन कार्ड की मियाद पूरी होने के कारण उनका इलाज नहीं किया जाता।
सर्वे में कर्मचारियों को छूट रहे पसीने
योजना के लाभार्थियों के नाम की सीडी हर नगरपालिका और नगर पंचायतों को मुहैया कराई गई है। उसकी हार्ड कॉपी भी दी गई है, लेकिन उसमें लाभार्थी का नाम और मोहल्ले का ही नाम है। उसकी बल्दियत नहीं दी गई है। इसके कारण पात्रों को ढूंढने में कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं। सूत्रों का कहना है उसावां क्षेत्र के जिन लोगों की सीडी नगर पंचायत को उपलब्ध कराई गई, लेकिन उस सीडी की हार्डकॉपी निकाली तो उसमें उझानी क्षेत्र के लाभार्थियों के नाम मिले। हालांकि सीडी शासन को भेजी गई है। इसी तरह कई अन्य समस्याएं भी खड़ी हो गई हैं।
लाभार्थियों के लिए सर्वे शुरु हो गया है। एक जून से स्मार्ट कार्ड बनने लगेंगे। जिन कर्मचारियों को सर्वे में परेशानी आ रही है वह लिखित में अवगत कराएं।-डॉ. सुखबीर सिंह, सीएमओ